High Court : शादीशुदा महिला बिना तलाक दिए क्या रह सकती है दूसरे मर्दे के साथ, जानें हाईकोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act)  के अनुसार यदि पति-पत्नी जीवित हैं और तलाक नहीं लिया गया है तो उनमें से कोई भी दूसरी शादी नहीं कर सकता।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून के विरुद्ध संबंधों को न्यायालय का समर्थन नहीं मिल सकता। इसी के साथ कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप (High court live in relationship decision) में रहने वाली विवाहिता की याचिका रद कर दी।

यह आदेश न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल ने कासगंज की एक विवाहिता व अन्य की याचिका खारिज करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि विवाहित महिला (Married Woman Rights) पति से तलाक लिए बिना किसी अन्य के साथ लिव इन में नहीं रह सकती।

ऐसे रिश्तों को मान्यता देने से अराजकता बढ़ेगी और देश का सामाजिक ताना-बाना नष्ट होगा। याचियों ने सुरक्षा की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी।

याचिका में कहा गया था दोनों याची लिव इन पार्टनर (Live-In Partner Rights) हैं। उन्होंने एसपी कासगंज से सुरक्षा की मांग की थी। पुलिस में कोई सुनवाई न होने पर हाईकोर्ट में यह याचिका दाखिल की है।

सुनवाई के दौरान दूसरे याची की पत्नी के अधिवक्ता ने आधार कार्ड (Aadhar Card proof)  प्रस्तुत कर बताया कि वह उसकी शादीशुदा पत्नी है। यह भी बताया कि पहली याची भी एक व्यक्ति की पत्नी है। दोनों में से किसी याची का अपने पति या पत्नी से तलाक नहीं हुआ है।

हाईकोर्ट कह चुका लिव इन को ‘टाइम पास’

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High court decision) ने अंतर-धार्मिक जोड़े के ‘लिव-इन’ रिलेशनशिप में रहने को टाइम पास कहा था। 24 अक्तूबर 2023 को कुमारी राधिका व सोहैल खान की याचिका पर दिए फैसले में कोर्ट ने कहा था कि ऐसे रिश्ते स्थायी नहीं होते।

जब तक जोड़ा इस रिश्ते को शादी के जरिये कोई नाम देने को तैयार न हो, इसे संरक्षण देने का आदेश नहीं दिया (Court Decision on Live-in Relationship) जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी तथा न्यायमूर्ति एमएएच इदरीसी की खंडपीठ ने दिया था।

दो बच्चों की मां है विवाहिता

लिव इन में रह रहे व्यक्ति की पत्नी के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में कहा कि सुरक्षा की मांग करने वाली याची विवाहिता और दो बच्चों की मां है। वह दूसरे याची के साथ लिव इन (Live-in relationship with children) में रह रही है। हाईकोर्ट ने इसे विधि विरुद्ध माना और सुरक्षा देने से इनकार करते हुए याचिका को दो हजार रुपये हर्जाने के साथ खारिज कर दिया

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