‘यूपी, बिहार के हिंदी भाषी तमिलनाडु में टॉयलेट साफ करने आते हैं’, दयानिधि मारन के बिगड़े बोल

लोकसभा चुनाव के पहले उत्तर भारत और दक्षिण के बीच विवाद फिर से गरमा गया है. तमिलनाडु के डीएमके के नेता दयानिधि मारन का एक बयान काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वह कहते सुने जा सकते हैं कि यूपी, बिहार के हिंदी भाषी तमिलनाडु में शौचालय साफ करने आते हैं. इंडिया गठबंधन के घटक दल डीएमके नेता के बयान के बाद बिहार बीजेपी के नेताओं ने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए सवाल किया है कि वह इस पर क्या सोचते हैं? बीजेपी नेताओं ने कहा कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार एवं लालू यादव को स्पष्ट करना चाहिए कि इंडिया गठबंधन एवं उसके सहयोगी डीएमके को हिंदी भाषी प्रदेश यूपी, बिहार से इतनी नफरत क्यों है?

मालूम हो कि कुछ दिन पहले तेलंगाना के नवनियुक्त मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के एक बयान को लेकर काफी विवाद पैदा हुआ था, जिसमें उन्होंने सीएम बनने के पहले कहा था कि तेलंगाना का डीएनए बिहार के डीएनए से बेहतर है.

कुछ दिन पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना “डेंगू” और “मलेरिया” से की थी. उसके बाद काफी घमासान मचा था. उन्होंने कहा था कि इसका सिर्फ विरोध नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि “उन्मूलन” किया जाना चाहिए. ‘सनातन उन्मूलन सम्मेलन’ में बोलते हुए उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय एवं समानता के खिलाफ है.

दयानिधि मारन के बयान से मचा बवाल

अब फिर उत्तर बनाम दक्षिण की बहस को और भड़काते हुए, डीएमके नेता दयानिधि मारन ने कथित तौर पर कहा है कि यूपी और बिहार से तमिलनाडु आने वाले हिंदी भाषी निर्माण कार्य, शौचालयों की सफाई आदि जैसे छोटे-मोटे काम करते हैं.

दयानिधि मारन की क्लिप साझा कर रहे हैं बीजेपी नेताओं ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस बारे में उनकी राय पूछी. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी निशाना साधा. उन्होंने भारतीय राज्यों के बारे में संसद में डीएमके सांसद सेंथिल कुमार और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की टिप्पणी का उल्लेख किया. इसके बाद एक बार फिर डीएमके नेता दयानिधि मारन ने उत्तर-दक्षिण बहस छेड़ने का प्रयास किया है.

हिंदी भाषियों को लेकर DMK नेता के बिगड़े बोल

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दयानिधि मारन ने कहा था कि जो लोग अंग्रेजी सीखते हैं उन्हें आईटी में अच्छी नौकरियां मिलती हैं, लेकिन जो लोग केवल हिंदी सीखते हैं – यूपी और बिहार के लोग-सड़कों और शौचालयों की सफाई करते हैं. दयानिधि ने कहा, “जब कोई केवल हिंदी सीखता है तो ऐसा ही होता है.”

उत्तर-दक्षिण बहस तब शुरू हुई थी, जब कांग्रेस ने तेलंगाना में जीत हासिल की और बीजेपी ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कीथी वोट पैटर्न पर कई टिप्पणियां की गईं और डीएमके के सेंथिल कुमार ने इस संदर्भ में उत्तर भारतीय राज्यों के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.

हाल ही में इंडिया गठबंधन की बैठक में हिंदी-गैर-हिंदी भाषा पर बहस हुई जब नीतीश कुमार ने बोलना शुरू किया और डीएमके नेता टीआर बालू ने इसका अंग्रेजी अनुवाद मांगा. जब राजद सांसद मनोज झा ने अनुवाद करने की पेशकश की तो नीतीश कुमार ने इनकार कर दिया था.

गिरिराज ने नीतीश-लालू से पूछा सवाल

बता दें कि डीएमके इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी गठबंधन बनाया गया है. इस गठबंधन की बिहार की पार्टी राजद और जदयू, और यूपी की पार्टी समाजवादी पार्टी शामिल हैं. बिहार एवं उत्तर प्रदेश के मुख्य राजनीतिक दल माने जाते हैं.

बिहार बीजेपी सांसद गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया, “क्या नीतीश कुमार और लालू यादव हिंदी भाषी लोगों पर अपने गठबंधन सहयोगी की राय से सहमत हैं? उन्हें साफ करना चाहिए कि डीएमके एवं इंडिया ब्लॉक को हिंदी भाषी लोगों को लेकर इतनी नफरत क्यों है?”

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