भारत में क्रूड ऑयल की कीमतों को कैसे प्रभावित कर सकता है ईरान-इज़राइल तनाव?

Iran-Israel Tension: बीते हफ्ते के अंत में इज़राइल के खिलाफ ईरान के सैन्य हमले ने ग्लोबल ऑयल सप्लाई चेन को प्रभावित करने वाले संभावित क्षेत्रीय संघर्ष के बारे में चिंताएं बढ़ा दीं.
हालांकि, सोमवार को तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि ईरान की कार्रवाई के बाद कारोबारियों ने रिस्क प्रीमियम कम कर दिया. ब्रेंट वायदा 50 सेंट या 0.5 प्रतिशत गिरकर 89.95 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि मई वायदा के लिए वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) वायदा 52 सेंट या 0.6 प्रतिशत गिरकर 85.14 डॉलर प्रति बैरल पर 0630 जीएमटी पर था. दमिश्क में ईरान के दूतावास पर संदिग्ध इजराइली लड़ाकू विमान के हमले के लिए ईरान जवाबी कार्रवाई कर सकता है, इस चिंता के बीच पिछले हफ्ते तेल की कीमतें छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं. ईरान के हमले के बाद एनालिस्ट्स को इस बात की चिंता है कि क्रूड ऑयल की कीमतें अगले कुछ दिनों में 100 डॉलर के लेवल को पार कर सकती हैं.

तीन दशक से भी अधिक समय में किसी दूसरे देश से इजराइल पर यह पहला हमला था. ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने इज़राइल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें दागीं. ईरान प्रमुख ऑयल प्रोड्यूर देशों में से एक है. यह प्रतिदिन लगभग 3.2 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन करता है. देश का होर्मुज जलडमरूमध्य पर भी महत्वपूर्ण कंट्रोल है, जो एशिया में 30 प्रतिशत तेल पारगमन और 70 प्रतिशत तेल शिपमेंट के लिए जिम्मेदार है.

क्रूड ऑयल के अलावा, कतर अपने एलएनजी को होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिए भेजता है जो ग्लोबल कंजंप्शन का पांचवां हिस्सा है.तेल और गैस की कीमतों पर क्या होगा असर?

IND ने सोमवार को एक कस्टमर नोट में कहा कि ईरान-इजरायल संघर्ष के साथ, ऑयल रेस्ट्रिक्शंस को अधिक कड़ाई से लागू करना एक बड़ा ऑयल सप्लाई रिस्क हो सकता है, और इज़राइल की प्रतिक्रिया में ईरान के एनर्जी बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को टार्गेट करना शामिल हो सकता है. जानकारों का मानना है कि मिडिल-ईस्ट में बढ़ता संघर्ष ऑयल और नेचुरल गैस की कीमतों के लिए चिंता का कारण है. चूंकि होर्मुज़ जलडमरूमध्य दुनिया का सबसे व्यस्त एनर्जी चैनल है और इसके बंद होने से ऑयल एंड नेचुरल गैस/एलएनजी दोनों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है.

क्रूड ऑयल एंड नेचुरल गैस की कीमतों में कोई भी वृद्धि भारत के लिए नुकसानदायक होगी, क्योंकि यह अपने क्रूड ऑयल की कंजंप्शन का 88 प्रतिशत और नेचुरल गैस की खपत का 45 प्रतिशत इंपोर्ट पर निर्भर करता है. ग्लोबल कंजंप्शन के लगभग पांचवें हिस्से के बराबर प्रतिदिन लगभग 20 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल और कंडेनसेट होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, जिसमें से लगभग 70 प्रतिशत एशिया में आता है. सोमवार को, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL), और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) सहित भारतीय तेल विपणन कंपनियों (OMCs) के शेयरों में क्रमश: 1.9 प्रतिशत, 2.14 प्रतिशत और 1.8 प्रतिशत की गिरावट आई. रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास युद्ध के कारण पिछले दो वर्षों से तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो रहा है. 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद, तेल की कीमतें बढ़कर 120 डॉलर प्रति बैरल हो गईं, क्योंकि पश्चिमी देशों ने दुनिया के प्रमुख तेल निर्यातकों में से एक रूस पर प्रतिबंध लगा दिए थे. पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में लीविंग कॉस्ट बढ़ने के पीछे फ्यूल एंड एनर्जी की ऊंची कीमतें एक प्रमुख चालक रही हैं. हमले पर इज़राइल की प्रतिक्रिया आने वाले दिनों में ग्लोबल मार्केट के लिए महत्वपूर्ण होगी.

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