कांग्रेस कैसे तैयार कर रही है सीट शेयरिंग का फॉर्मूला? पार्टी के अंदर खाका तैयार, अब सहयोगियों से बार्गेनिंग की बारी?

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू होने से पहले कांग्रेस सीट शेयरिंग के फॉर्मूले को हर हाल में सहयोगी दलों के साथ सुलझा लेना चाहती है. इसी मद्देनजर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस ने सीट शेयरिंग का एक फॉर्मूला तैयार कर लिया है, जिसके तहत INDIA गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ बातचीत करेगी. कांग्रेस गठबंधन कमेटी के संयोजक मुकुल वासनिक ने देश के अलग-अलग राज्यों के पार्टी नेताओं के साथ चर्चा करके सीट शेयरिंग का खाका तैयार किया है, जहां पर कांग्रेस को चुनाव लड़ना है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और महासचिव केसी वेणुगोपाल को सीट शेयरिंग की रिपोर्ट सौंप दी गई है. ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस के द्वारा तैयार किए गए सीट शेयरिंग फॉर्मूले पर क्या अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे जैसे सहयोगी नेता रजामंदी देंगे?

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 14 जनवरी से शुरू होनी है. इस बात को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों की सूची को भी जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है. कांग्रेस की गुरुवार शाम दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है. कांग्रेस नेताओं ने देश के उन राज्यों में लोकसभा सीटों की संख्या पर चर्चा की, जहां पर सहयोगी दलों के साथ सीटों पर संभावित मतभेद हो सकते हैं. विभिन्न राज्यों के कांग्रेस नेताओं ने अपनी आकांक्षाए बताई हैं और यह भी बताया है कि पार्टी गठबंधन के सहयोगियों के साथ बातचीत करते समय कितनी सीटें अपने पास रखनी चाहिए.

275-300 सीट पर लड़ने का प्लान

मुकुल वासनिक की अध्यक्षता वाली समिति पर ही सीट बंटवारे को तय करने का जिम्मा है, जिसके पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, मोहन सिंह और सलमान खुर्शीद सदस्य हैं. इस समिति ने अलग-अलग राज्य के नेताओं के साथ मंथन करके सीट शेयरिंग का एक खाका तैयार कर लिया है. सूत्रों की माने तो कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में 275 से 300 सीट के बीच चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है जबकि INDIA गठबंधन के सहयोगी दल चाहते हैं कि कांग्रेस 225 सीटों पर चुनाव लड़े. मुकुल वासनिक के नेतृत्व वाली कमेटी ने सीट बंटवारे का जो खाका तैयार किया है, उसमें सीटों का कोई निश्चित आंकड़ा तय नहीं है. हालांकि, किस राज्य में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना है, इसका खाका जरूर तैयार कर लिया है, उस लिहाज से कांग्रेस कम से कम पौने तीन सौ सीटों पर चुनाव लड़ सकती है.

कांग्रेस हाईकमान मल्किराजुर्न खरगे, राहुल गांधी ने मुकुल वासनिक के नेतृत्व वाली कमेटी को सीट बंटवारे के लिए INDIA गठबंधन के सहयोगी दलों के नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए अधिकृत कर दिया है. मुकुल वासनिक, अशोक गहलोत भूपेश बघेल और सलमान खुर्शीद अब राज्य-दर-राज्य आधार पर INDIA ब्लॉक की पार्टियों नेताओं साथ बातचीत कर सीट शेयरिंग पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. कांग्रेस के नेताओं ने इसे एक संकेत के रूप में लिया कि पार्टी इस बार INDIA गठबंधन की पार्टियों को समायोजित करने के लिए कम संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है.

कांग्रेस की पूरी प्लानिंग ये है!

मुकुल वासनिक ने कहा कि कांग्रेस ने यह तय नहीं किया है कि वह कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, लेकिन हमारा पूरा इरादा यह सुनिश्चित करना है कि INDIA गठबंधन को बहुमत मिले और वह सरकार बनाए. हम उस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए गठबंधन के विभिन्न दलों से बात करेंगे. हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केंद्र में INDIA गठबंधन की सरकार बने. अब सीट बंटवारे पर बातचीत के लिए गठबंधन सहयोगियों से संपर्क करेंगे और उनके साथ बातचीत करके सीट शेयरिंग पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. इसके बाद अगर किसी तरह की कोई गुंजाइश बची रहती है तो फिर शीर्ष नेतृत्व सहयोगी दलों के बात करके सहमति बनाने की कोशिश करेंगे. इस बात को ऐसे समझ सकते हैं कि पहले समिति गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे पर सहमति बनाने की कोशिश करेगी, अगर उसमें कुछ दिक्कत होती है तो फिर खरगे और राहुल गांधी बात करके विवाद सुलझाने का काम करेंगे.

2019 में क्या रहा था कांग्रेस का प्रदर्शन?

बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 421 सीटों पर चुनाव लड़ी और 52 सीटें जीती थी. कांग्रेस को तब गठबंधन के चलते बिहार की 40 सीटों में से केवल 9 सीटों पर, झारखंड की 14 सीटों में से सात सीटों पर, कर्नाटक की 28 सीटों में से 21 सीटों पर, महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 25 सीटों पर और तमिलनाडु की 39 सीटों में से नौ सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था. उत्तर प्रदेश की 80 में से 70 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी थी. हालांकि, इस बार स्थिति बदल गई है, क्योंकि बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ-साथ लेफ्ट पार्टियों के साथ सीट बंटवारा करना है तो यूपी में सपा, आरएलडी जैसे दलों के साथ सीट शेयरिंग होनी है. इसी तरह महाराष्ट्र में कांग्रेस को शरद पवार की एनसीपी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना के साथ बातचीत करके सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय करना है.

विपक्षी गठबंधन में किसकी क्या इच्छा

विपक्षी गठबंधन INDIA में सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और सहयोगी दलों के बीच रस्साकशी जारी है. INDIA गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दल अपने राज्य में कांग्रेस को बहुत ज्यादा सियासी स्पेस देने के मूड में नहीं है. इसलिए वे कांग्रेस के लिए बहुत ज्यादा सीट छोड़ नहीं रहे हैं. टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को महज दो सीटें देने के मूड में है जबकि कांग्रेस ने कम से कम 5 से 8 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. इसी तरह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) 23 सीटें मांग रही है.

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भी संकेत दिया है कि वे दिल्ली और पंजाब की 21 सीटों में से कोई भी सीट साझा नहीं करना चाहेंगे. पंजाब सीएम भगवंत मान ने तो कांग्रेस को लेकर बड़ा बयान दे दिया था कि दोनों राज्यों में पार्टी अब खत्म हो चुकी है. हालांकि, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सहमति बनाने की बात हो रही है. AAP ने संकेत दिया है कि वह पंजाब में कांग्रेस के साथ सीट साझा करने का समझौता करने को इच्छुक है. यूपी में समाजवादी पार्टी साफ कह चुकी कि सूबे की 80 में से 65 सीटों पर वो खुद चुनाव लड़ेगी और बाकी बची 15 सीटें कांग्रेस और आरएलडी के छोड़ेगी.

कांग्रेस यूपी में 25 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रखी है, जिसमें 2009 में जीती हुई सीटें है और कुछ सीटें वो हैं, जहां पर दूसरे दल के मजबूत नेता पार्टी में आए हैं. कांग्रेस के यूपी प्रभारी अविनाश पांडेय शनिवार को ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ के समापन कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए लखनऊ पहुंच रहे हैं. अविनाश पांडेय इस दौरान यूपी नेताओं के बैठक भी करेंगे, जिसमें 2024 में कितनी सीटों पर कांग्रेस को लड़ना है, उस राय को समझेंगे और जानेंगे. इसके बाद ही कांग्रेस यह तय करेगी कि कांग्रेस को यूपी में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए सपा के साथ बातचीत करनी है.

काग्रेस का कद और कम होगा क्या?

कांग्रेस ने राज्य-दर-राज्य INDIA गठबंधन की पार्टियों के साथ बातचीत करने का फैसला किया है. इस बात को दूसरे शब्दों में समझें तो कांग्रेस अब सपा, शिवसेना, टीएमसी, रालोद, आरजेडी, जेडीयू, जेएमएम और आम आदमी पार्टी के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत करेगी. दिल्ली और पंजाब में अलग-अलग सीटों के बंटवारे पर, साथ ही गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों में जहां अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी कुछ प्रभाव होने का दावा करती है. यही बात वामपंथियों और अन्य पार्टियों पर भी लागू होगी जो इंडिया गठबंधन के बैनर तले एक से अधिक राज्यों में चुनाव लड़ना चाहती हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु जैसे राज्यों से ज्यादा प्रतिक्रियाएं नहीं आई हैं. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन से उसका कद और कम होने की आशंका है

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