शिवसेना पर पूरा हक मिलने के बाद कितना मजबूत होगा शिंदे गुट?

महाराष्ट्र में 16 विधायकों की सदस्यता पर मंडरा रहा खतरा अब टल चुका है. महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने न सिर्फ सभी विधायकों को योग्य ठहराया है, बल्कि चुनाव आयोग के रिकॉर्ड को आधार मानते हुए शिंदे गुट को ही असली शिवसेना माना है. यह फैसला शिंदे गुट के लिए फायदेमंद साबित होने वाला है. वहीं ठाकरे गुट के लिए ये किसी तगड़े झटके से कम नहीं है. उद्धव ठाकरे विधानसभा स्पीकर के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देने का मन बना रहे हैं.

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग के नतीजों का हवाला दिया. इससे शिंदे गुट को एक बार फिर आधिकारिक तौर पर पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न मिल गया. विधानसभा अध्यक्ष ने व्हिप जारी करने के लिए भरत गोगवले की नियुक्ति को भी वैद्य करार दिया. इस फैसले के बाद शिंदे गुट की ताकत और बढ़ेगी, क्योंकि एक तरह से शिंदे गुट को एक बार फिर कानूनी मान्यता मिल गई. शिंदे गुट को असली शिवसेना माने जाने से महाराष्ट्र सीएम एक नाथ शिंदे की ताकत में और इजाफा होगा. इससे कई बड़े नेता शिंदे गुट की तरफ आएंगे. वह सत्ता में हैं और राज्य के सीएम भी हैं, ऐसे में हर तरफ से उनकी ताकत बढ़ेगी. माना जा रहा है कि शिंदे गुट को मिली यह राहत आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भी असर दिखाएगी.

शिंदे गुट की ताकत बढ़ेगी

एकनाथ शिंदे की पार्टी को केंद्रीय चुनाव आयोग पहले ही मान्यता दे चुका है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को ही विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने का अधिकार दिया था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद आज विधानसभा अध्यक्ष ने फैसले का ऐलान किया. शिंदे गुट के पक्ष में फैसला आने से उत्साह का माहौल है. माना जा रहा है कि इस फैसले से शिंदे गुट और मजबूत हुआ है. इससे सत्ता के प्रति आकर्षित विधायक, जनप्रतिनिधि एक नाथ शिंदे के समर्थन में आ सकते हैं. इसके अलावा शिवसेना के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी शिंदे गुट से जुड़ सकते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि शिंदे गुट और मजबूत होगा.

शिंदे गुट के पदाधिकारियों की ताकत बढ़ेगी

शिंदे गुट के सभी विधायकों को योग्य ठहराया गया है, इस नतीजे के बाद पूरे प्रदेश में शिंदे गुट के पदाधिकारियों की ताकत बढ़ जाएगी. शिंदे गुट के पदाधिकारी अब अपने विधानसभा क्षेत्र, शहर में पार्टी का प्रचार कर सकेगे. सार्वजनिक सभाओं में सीधे तौर पर ठाकरे समूह और विपक्ष को जवाब दे पाएंगे. साथ ही उनके साथ आने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या भी बढ़ने की संभावना है. ऐसे में भविष्य में ठाकरे समूह के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं.

शिंदे ग्रुप को मिलेगा पार्टी दफ्तर, पार्टी फंड?

केंद्रीय चुनाव आयोग और अब विधानसभा अध्यक्ष ने एकनाथ शिंदे को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न दे दिया है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि एकनाथ शिंदे की पार्टी ही असली शिवसेना पार्टी है. इसलिए एकनाथ शिंदे शिवसेना कार्यालय और फंड पर दावा कर सकते हैं. हालांकि एकनाथ शिंदे ने इस बारे में 20 फरवरी 2023 को ही सफाई दे दी थी. एकनाथ शिंदे ने पहले ही साफ कर दिया है कि वह शिवसेना की किसी भी संपत्ति पर दावा नहीं करेंगे. अगर एकनाथ शिंदे शिवसेना भवन पर दावा भी करते हैं तो भी उन्हें यह मिलने की संभावना कम है, क्योंकि शिव सेना भवन की जगह शिवाई ट्रस्ट के नाम पर है. इस ट्रस्ट के पदाधिकारी ठाकरे समूह के हैं.

चुनाव में ठाकरे गुट को लगेगा झटका

एकनाथ शिंदे गुट में कई साल से सत्ता में शिवसेना के विधायक और सांसद शामिल हैं. ये विधायक सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में प्रभावी हैं. इन विधायकों की स्थानीय स्तर पर अच्छी पकड़ है. इसलिए एकनाथ शिंदे की पार्टी आम लोगों तक बहुत तेजी से पहुंच सकती है और उन्हें न्याय भी दिला सकती है. इसके अलावा एकनाथ शिंदे के अब तक लिए गए फैसलों से राज्य में उनकी लोकप्रियता भी बढ़ती जा रही है. उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त एसटी बस टिकट देने और महिलाओं से आधा किराया वसूलने का फैसला लिया है. इससे आम लोगों में खुशी का माहौल है. इसलिए नागरिक अब शिंदे को सकारात्मक दृष्टि से देख रहे हैं. माना जा रहा है कि इससे आगामी चुनावों में शिंदे गुट पर असर पड़ सकता है.

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