पाकिस्तान में कैसे चुना जाता है PM, भारत से कितनी अलग है प्रक्रिया?

भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव में नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में हैं. इस बीच चलिए जानते हैं कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री को चुनने की क्या प्रक्रिया होती है और यह भारत से कितनी अलग है?

प्रधानमंत्री चुनने का प्रोसेस, पाकिस्तान और भारत में कुछ हद तक एक जैसा ही है. पाकिस्तान भी एक संसदीय लोकतंत्र है. संसद में दो सदन होते हैं. निचले सदन यानी नेशनल अंसेबली को कौमी अंसेबली कहा जाता है. वहीं पाकिस्तान के उच्च सदन यानी सीनेट को आइवान-ए बाला कहा जाता है. नेशनल अंसेबली के सदस्य प्रधानमंत्री को चुनते हैं. लेकिन नेशनल अंसेबली की संरचना कैसी होती है? आइए समझते हैं.

8 फरवरी को किस पद के लिए चुनाव होगा?

8 फरवरी को पाकिस्तान के मतदाता मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री, दोनों पदों के लिए वोट डालेंगे. मतदाता निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए दो नेता चुनते हैं. एक प्रतिनिधि प्रांत के लिए और दूसरा नेशनल असेंबली के लिए. भारत की तरह पाकिस्तान में भी 18 साल की उम्र से बड़े नागरिक वोट दे सकते हैं.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पोलिंग बूथ सुबह 8 बजे खुल जाएंगे और शाम 5 बजे तक जनता वहां मतदान कर सकती है. विशेष मामलों में मतदान करने का समय बढ़ाया जा सकता है. अगर किसी मतदान केंद्र पर हिंसा होती है, तो अधिकारी मतदाताओं को वोट डालने की अवधि को बढ़ा सकते हैं. सभी वोट पड़ते ही उनकी गिनती शुरू हो जाती है. अगली सुबह तक फैसला आ जाता है.

किस क्षेत्र में है सबसे ज्यादा सीटें?

अब बात करते हैं कि वहां कितनी सीटें हैं और वो कैसे बंटी हुई हैं. नेशनल असेंबली में कुल सीटें 336 हैं. इनमें कुछ सीटें महिलाओं और गैर-मुसलमानों के लिए आरक्षित होती हैं. 2024 के चुनाव के लिए सीधे मतदान से जीती जाने वाली नेशनल असेंबली की आम सीटों की संख्या 266 है. 8 फरवरी को इन 266 सीटों के लिए वोटिंग होगी. इसमें पंजाब की 141 सीटें, सिंध की 61 सीटें, बलूचिस्तान की 16 सीटें, खैबर पख्तूनख्वा की 45 सीटें और इस्लामाबाद कैपिटल टेरिटरी की 3 सीटें हैं.

266 आम सीटों के अलावा नेशनल असेंबली में 70 आरक्षित सीटें होती हैं. 70 में से 60 महिलाओं के लिए और 10 गैर-मुसलमानों के लिए आरक्षित हैं. इस तरह नेशनल असेंबली की कुल ताकत 336 हो जाती है.

कैसे होता है आरक्षित सीटों का आवंटन?

आरक्षित सीटों को सदन में पार्टी की ताकत के अनुसार आवंटित किया जाता है. इसे 5 प्रतिशत आनुपातिक प्रतिनिधित्व नियम कहते हैं. इस नियम को 2018 के चुनाव परिणामों से समझिए. उस चुनाव में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी ने सीधे मतदान से 124 सीटें जीती थी. वहीं, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) पार्टी ने 66 सीटें जीती. पार्टी की संख्या बल के हिसाब से, PTI को नेशनल असेंबली में 28 महिलाओं की और 5 गैर-मुस्लिमों की आरक्षित सीट मिली. इसी तरह PML-N पार्टी को 16 महिलाओं की और 2 गैर-मुस्लिमों की आरक्षित सीट मिली.

प्रधानमंत्री का चुनाव

जो उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़कर जीतते हैं, उन्हें चुनाव के बाद किसी भी पार्टी में शामिल होने का विकल्प होता है. यह सब होने के बाद, नेशनल असेंबली सदन के एक नेता को चुनने के लिए संसदीय वोट होता है, जो प्रधानमंत्री बनता है. सदन में बहुमत पाने के लिए पार्टी को 134 आम वोटों की जरूरत होती है. यानी कि प्रधानमंत्री की दावेदारी पेश करने के लिए सदन में कम से कम 169 सदस्यों का समर्थन होना चाहिए. नेशनल असेंबली के सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का होता है.

मुख्यमंत्री का चुनाव

8 फरवरी को नेशनल असेंबली के साथ-साथ पाकिस्तान के 4 प्रांतों की सरकार के लिए भी वोट डाले जाएंगे. इनमें भी महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों के लिए कुछ सीटें आरक्षित हैं. इन चुनावों में जीतने वाले उम्मीदवार प्रांत के मुख्यमंत्री का चयन करते हैं. पाकिस्तान की प्रांतों में सीटों का समीकरण इस तरह है-

पंजाब– 371 सीट, जिसमें से 297 आम सीट, 66 महिलाओं की और 8 अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों की

सिंध– 168 सीट, जिसमें से 130 आम सीट, 29 महिलाओं की और 9 अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों की

खैबर पख्तूनख्वा– 124 सीट, जिसमें से 99 आम सीट, 2 महिलाओं की और 3 अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों की

बलूचिस्तान- 65 सीट, जिसमें से 51 आम सीट, 11 महिलाओं की और 3 अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों की

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