अडानी पर हिंडनबर्ग के आरोपों में कितना दम? आज सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला
हिंडनबर्ग-अडानी समूह के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज यानी 3 जनवरी को फैसला सुना सकता है। यह मामला हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों से जुड़ा है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दी गई थीं और इसके बाद कोर्ट ने सेबी को जांच करने के आदेश दिए थे। सेबी की ओर से अदालत में स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के बाद मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या कहा शीर्ष अदालत ने
बीते नवंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच करने वाले बाजार नियामक सेबी पर संदेह करने की कोई वजह नहीं है। कोर्ट ने कहा कि बाजार नियामक की जांच के बारे में भरोसा नहीं करने के लायक कोई भी तथ्य उसके समक्ष नहीं है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि वह हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किए गए दावों को पूरी तरह तथ्यों पर आधारित नहीं मानकर चल रहा है। पीठ ने कहा कि उसके समक्ष कोई तथ्य न होने पर अपने स्तर पर विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करना उचित नहीं होगा।
समिति का भी हुआ था गठन
शीर्ष अदालत की तरफ से गठित विशेषज्ञ समिति ने मई में एक अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि उसने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों में हेराफेरी का कोई स्पष्ट सबूत नहीं देखा और इसमें किसी भी तरह की नियामकीय नाकामी नहीं हुई थी। हालांकि, समिति ने 2014 और 2019 के बीच सेबी द्वारा किए गए कई संशोधनों से जांच करने की उसकी क्षमता बाधित होने का उल्लेख करते हुए कहा था कि विदेशी कंपनियों से आने वाले निवेश में कथित उल्लंघनों की जांच में कुछ नहीं मिला है।
क्या है मामला: दरअसल, जनवरी 2023 में अमेरिका के शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी समूह को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया था। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि शेल कंपनियों के जरिए अडानी समूह के शेयरों में हेरफेर की जाती है। इसके अलावा कॉरपोरेट गर्वेनेंस और कर्ज समेत नियम उल्लंघन से जुड़े कई गंभीर सवाल खड़े किए गए। इन सवालों का अडानी समूह की ओर से सफाई दी गई लेकिन इसके बावजूद ग्रुप के शेयर बुरी तरह क्रैश हुए। वहीं, गौतम अडानी की निजी दौलत में भी बड़ी गिरावट आई।