’14 सीटें और 67 दिन’… पर्वत जैसे मोदी और क्षत्रपों से कैसे निपटेंगे राहुल गांधी?
कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पदयात्रा के बाद अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई तक यात्रा निकालने जा रहे हैं. राहुल गांधी 14 राज्यों की 85 जिले होते हुए करीब 6200 किलोमीटर की यात्रा 67 दिनों में तय करेंगे. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब देश में लोकसभा चुनाव की सियासी तपिश अपने चरम पर होगी. राहुल राजनीतिक सरगर्मी के बीच जिस रूट पर भारत न्याय यात्रा के लिए निकल रहे हैं, उस रास्ते पर पहले से ही बीजेपी अपना कब्जा जमाए हुए है और बची-खुची कुछ जगहों पर क्षत्रपों का दबदबा है. ऐसे में राहुल गांधी को 67 दिनों में पीएम मोदी के अगुवाई वाली बीजेपी के साथ-साथ क्षत्रपों से निपटना होगा. सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी इस यात्रा के जरिए अपनी पार्टी के साथ इंसाफ कर सकेंगे और 2024 में कांग्रेस की झोली में कितनी सीटें डाल पाएंगे?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ‘भारत न्याय यात्रा’ शुरू कर रही है. पूर्वोत्तर के मणिपुर से पश्चिमी के मुंबई तक करीब 6200 किलोमीटर की यह लंबी यात्रा राहुल गांधी 67 दिनों में पूरी करेंगे. यह यात्रा मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, यूपी, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र तक पहुंचेगी. इन 14 राज्यों की तकरीबन 355 लोकसभा सीटे आती है, जिनमें से ज्यादातर राज्यों बीजेपी के मजबूत का दुर्ग माने जाते हैं और कांग्रेस अपनी जमीन खो चुकी है. ऐसे में राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई तक की यात्रा करके कांग्रेस को दोबारे से उभारने की कवायद करते नजर आएंगे.
14 राज्य की 355 लोकसभा सीटों पर नजर
कांग्रेस की ‘भारत न्याय यात्रा’ मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र पहुंचेगी. इन सभी 14 राज्यों में कुल 355 लोकसभा सीटें आती हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी इन 355 संसदीय सीटों में से 237 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही जबकि उसके सहयोगी दलों को 45 सीटें मिलीं. इस तरह बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 355 सीटों में से 282 सीटें जीती थीं, जो सराकर बनाने के लिए बहुमत के आंकड़े के 10 सीटें ज्यादा थी.
वहीं कांग्रेस महज 14 सीटें जीत सकी थी जबकि अन्य क्षेत्रीय दलों को 59 सीटें मिली थी. कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को भी जोड़ लें, जो अब INDIA गठबंधन का हिस्सा हो चुके हैं तो ये सीटें 67 पहुंचती हैं. ऐसे में राहुल गांधी ‘भारत न्याय यात्रा’ के जरिए 355 से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की है, लेकिन उसके लिए कांग्रेस को कई चुनौती से निपटना होगा. राहुल गांधी को इसके लिए पहले तो पीएम मोदी से दो-दो हाथ करना होगा, क्योंकि बीजेपी उन्हीं के चेहरे पर 2024के चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है. पीएम मोदी की अपनी एक लोकप्रियता है, जो उत्तर भारतियों के सिर चढ़कर बोल रही है. इसके अलावा राहुल गांधी को क्षत्रपों से भी मुकाबला करना होगा, क्योंकि पूर्वोत्तर से लेकर महाराष्ट्र तक क्षेत्रीय दलों की अपनी तूती बोलती है.
न्याय यात्रा का कितना होगा असर?
राहुल गांधी का प्लान 67 दिनों तक चलकर मोदी के अभेद्य दुर्ग को भेदना और कांग्रेस की 14 से 100 सीटें करने का है. इसके लिए राहुल गांधी आर्थिक न्याय, सामाजिक न्याय और राजनीतिक न्याय के नारे को बुलंद करेंगे. इसके पीछे वजह यह है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ओबीसी सियासत हावी है. बिहार में नीतीश कुमार जातिगत जनगणना कराकर आरक्षण की लिमिट बढ़ा चुके हैं तो यूपी से लेकर महाराष्ट्र तक में इसकी मांग उठ रही है. उत्तर भारत की जातीय पॉलिटिक्स को देखते हुए कांग्रेस ने राहुल गांधी की मणिपुर से महाराष्ट्र तक की यात्रा को भारत न्याय यात्रा का नाम दिया है.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर से लेकर हिंदी पट्टी के राज्य यूपी-बिहार भी शामिल हैं और मध्य प्रदेश-राजस्थान जैसे राज्य में बीजेपी से कांग्रेस को करारी मात खानी पड़ी है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का भी असर दिखना चाहिए था, जो नहीं दिखा. तो अब न्याय यात्रा का असर कितना दिखेगा, ये तो 2024 के चुनाव के दौरान ही साफ होगा. बीजेपी को जिन राज्यों में सबसे ज्यादा चुनौती मिल सकती है, वे राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार और महाराष्ट्र ही हो सकते हैं. राहुल की भारत न्याय यात्रा के रूट में पड़ने वाले 14 में से 9 राज्यों में कांग्रेस छोटे भाई की भूमिका में है जबकि क्षत्रप बड़े भाई के रोल में है. बंगाल से लेकर यूपी और महाराष्ट्र तक क्षत्रपों के रहमोकरम पर ही कांग्रेस को सीट मिल पाएगी, क्योंकि INDIA गठबंधन में तय हो गया है कि जिस राज्य में जो दल मजबूत हैं, वहां पर वो ही सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करेंगे.
राहुल गांधी को कितनी मिलेगी कामयाबी?
राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई तक की न्याय यात्रा के जरिए कितनी छाप छोड़ पाएंगे और कितने वोट जोड़ पाएंगे. ये 2024 के चुनाव में पता चलेगा, लेकिन राहुल गांधी की ये नयाय यात्रा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से भी गुजरने वाली है, जहां INDIA गठबंधन में बड़े-बड़े दावेदार हैं. चाहे वो बात बंगाल में टीएमसी और लेफ्ट पार्टियों की हो या फिर बिहार में जेडीयू और आरजेडी की हो या फिर झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा की हो या फिर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की हो या फिर महाराष्ट्र में एनसीपी और उद्धव गुट वाली शिवसेना की, यहां पर कांग्रेस को इन्हीं छत्रपों से सीट शेयरिंग करनी होगी.
यूपी से लेकर महाराष्ट्र, बिहार और बंगाल तक क्षेत्रीय दल गठबंधन को लीड करना चाहते हैं और सीट बंटवारे का फॉर्मूला अपने हाथों में रखने की रणनीति बनाई है. यूपी से लेकर बंगाल और बिहार तक में कांग्रेस जिन राज्य की सत्ता से बाहर हो चुकी है, वहां पर दोबारा से सत्ता में नहीं लौटी है. ऐसे में सहयोगी दलों पर ही कांग्रेस को निर्भर रहना पड़ रहा है.
इंडिया गठबंधन दिखाएगा कमाल?
राहुल गांधी को कांग्रेस के पास 14 सीटें हैं और अगर उसके सहयोगी दलों को भी जोड़ लें, जो अब INDIA गठबंधन के हिस्सा हो चुके हैं उन्हें मिलाकर 67 सीटें होती हैं. ऐसे में राहुल गांधी 67 दिनों में INDIA गठबंधन की 67 सीटों को बढ़ाकर कितने नंबर तक पहुंचा पाएंगे. बीजेपी के सत्ता से बेदखल करने के लिए इन 14 राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को कम से कम 200 से ज्यादा सीटें जीतनी होगी, क्योंकि बाकी संख्या को साउथ के राज्यों से भरी जा सकती है. INDIA गठबंधन अगर इन राज्यों में बीजेपी को मात नहीं दे पाएगा तो सत्ता की कुर्सी एक बार फिर से उससे दूर हो जाएगी. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस के लिए पथरीले हो चुके रास्ते को राहुल कितना सियासी उपजाऊ बना पाते हैं