IAS Story: IIT, NIT नहीं यहां से की पढ़ाई, UPSC क्रैक करके पहले IPS फिर बनीं IAS, अब संभाल रहीं हैं डीसी की कमान
कहते हैं न कि अगर इंसान को कोई बात घर कर जाए तो किसी भी मुकाम को हासिल कर सकता है. ऐसे ही कहानी एक IAS ऑफिसर की है. जिन्हें एक घटना ने IPS बनने के लिए झकझोर दिया. उन्हें इस घटना ने ऐसे प्रेरित किया कि वह बिना कोचिंग पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा क्रैक करके 2012 में IPS बनीं. इसके बाद वर्ष 2016 में फिर से सिविल सर्विसेज की परीक्षा को पास करके IAS बनीं. कई पदों पर काम करने के बाद अब उन्हें झारखंड के लातेहार जिले में बतौर डीसी के पद पर नियुक्त किया गया है. इनका नाम IAS गरिमा सिंह (Garima Singh) है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.
IPS छोड़कर चुना IAS
गरिमा सिंह (IAS Garima Singh) ने IPS की नौकरी छोड़कर IAS की नौकरी को चुना. वह बताती हैं कि IPS एक ऐसा जॉब है, जिसमें SHO से लेकर डीजी लेवल तक वर्क प्रोफाइल चेंज नहीं होता है. लेकिन जहां तक आईएएस का सवाल है तो उसमें वर्क पोर्टफोलियो का जो एवेन्यू है वो बहुत ही बड़ा है. वह झारखंड में करीब 7 सालों से हैं. इस दौरान उन्होंने एजुकेशन, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन और SDO के तौर पर भी काम किया है. इसमें बहुत सारे फील्ड में काम करने का मौका मिलता है. अब वह डीसी के तौर पर काम कर रही हैं. डीसी के पद को कई अन्य राज्यों में DM यानी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भी कहा जाता है.
हायर एजुकेशन में डायरेक्टर के पद पर कर चुकी है काम
IAS गरिमा सिंह हायर एजुकेशन में बतौर डायरेक्टर के पद पर काम कर चुकी हैं. वह लातेहार जिले में एजुकेशन के क्षेत्र में कई नई परियोजनाओं पर भी काम करेंगी. वह बताती हैं हायर एजुकेशन से संबंधित जितने भी प्रोजेक्ट्स हैं और जितने भी नए यूनिवर्सिटी और कॉलेज बनाने हैं, इसके लिए जमीन चिंहित करेंगी और उन्हें पूरा करवाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी. इसके अलावा हायर एजुकेशन, स्कूल एजुकेशन से संबंधित जितनी भी समस्याएं हैं, वे सब डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के तौर समाधान करेंगी. साथ ही स्कूल शिक्षा पर उनका विशेष ध्यान भी रहेगा.
पहले प्रयास में UPSC क्रैक करने की स्ट्रेटजी
यूपीएससी की परीक्षा को पहले प्रयास में क्रैक करने के बारे में बताती हैं कि सभी लोगों का पढ़ने का तरीका अलग-अलग होता है. कुछ लोग होते हैं कि कोचिंग करके ही पढ़ पाते हैं. कुछ लोग होते हैं, जो सेल्फ स्टडी में ज्यादा यकीन रखते हैं. मेरे हिसाब से एक साल कोचिंग कर लेने के बाद दोबारा कोचिंग करने की जरूरत नहीं पड़ती है. कोचिंग के बाद आपको एक साल सेल्फ स्टडी पर ध्यान देना चाहिए. वैसे भी यूपीएससी एक ऐसा एग्जाम है, जिसे कोई एक कोचिंग कवर नहीं कर सकता है. आप अपने हिसाब से जितना कर सकते हैं, उसके लिए सेल्फ स्टडी ही अच्छा है.
दिल्ली विश्वविद्यालय से की पढ़ाई
गरिमा सिंह उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से ताल्लुक रखती हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास विषय में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं. पहले ही प्रयास में UPSC की परीक्षा को पास करके IPS बनीं और उत्तर प्रदेश कैडर में तीन साल पुलिस अधिकारी के तौर पर काम किया. लेकिन अपने पिता ओंकार सिंह की इच्छा को पूरा करने के लिए दोबारा यूपीएससी की परीक्षा को क्रैक करके IAS Officer बनीं और उन्हें झारखंड कैडर मिला.