CM उपलब्ध नहीं तो क्या बच्चों के मौलिक अधिकार कुचल दें? MCD स्कूलों की दुर्दशा पर HC का बड़ा फैसला
दिल्ली हाई कोर्ट ने एमसीडी के स्कूलों में किताबें औऱ यूनिफॉर्म की कमी से जुड़े मामले में सरकार औऱ एमसीडी को फटकार लगाई है और नगर निगम कमिश्नर को छात्रों के लिए किताबें, यूनिफॉर्म, नोटबुक जैसी चीजों पर खर्च करने का अधिकार दिया है।
हाई कोर्ट ने 17 पेज के अपने आदेश में कहा है कि निगम स्कूलों की दुर्दशा सुधारने के लिए निगम कमिश्नर को यह अधिकार देना आवश्यक है।
कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में जनहित याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने इसे आठ लाख छात्रों की जीत बताया है। कोर्ट ने निगम कमिश्नर को आदेश दिया है कि एमसीडी के छात्रों को 5 करोड़ की सीमा से परे जाकर किताबे, यूनिफॉर्म और अन्य चीजे उपलब्ध कराई जाएं।
‘सीएम की अनुपस्थिति के चलते बच्चों के अधिकार नहीं कुचल सकते’
हाई कोर्ट ने कहा कि केवल इसलिए कि मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, छोटे बच्चों के मौलिक अधिकारों को कुचला नहीं जा सकता। गिरफ्तारी के बावजूद अरविंद केजरीवाल का मुख्यमंत्री बने रहने का फैसला निजी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अनुपस्थिति के चलते छात्रों को मौलिक अधिकार से वंचित रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
दिल्ली सरकार ने क्या कहा था?
दिल्ली सरकार ने पहले कोर्ट को बताया था कि एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी को एमसीडी के वित्त के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार है, लेकिन स्थायी समिति के गठन पर विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सरकार की ओर से यह भी कहा गया था कि एमसीडी कमिश्नर को वित्त के संबंध में ऐसी शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी की जरूर है और दिल्ली के सीएम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद हैं, इसलिए मंजूरी लेना बाकी है। वहीं कोर्ट ने इस दलील पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि अगर कोई मुख्यमंत्री इतने लंबे समय तक उपलब्ध नहीं रहता है तो यह राष्ट्रीय हित के खिलाफ है।