अगर मां काट रही है सजा तो बच्चों को भी मिलेगी विरासत में जेल
यह कहावत उन बच्चों पर सटिक बैठ रही है जो इस समय अपनी माताओं के साथ जेल की सलाखों में मां के साथ सजा भुगत रहे हैं। उनका कसूर बस इतना है कि अभी वे स्वतंत्र रूप से खेलने-कूदने या रहने की स्थिति में नहीं हैं।
इसलिए उन्हें जेल में सजा काट रही या किसी केस के सिलसिले में जेल में बंद अपनी माताओं के साथ रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सर्किल जेल रतलाम के अंतर्गत 10 जेल और उपजेल आती हैं। इनमें इस समय 59 महिला बंदी हैं जिनमें से 9 महिलाओं के साथ उनके मासूम बच्चे भी रहते हैं। सबसे ज्यादा रतलाम की जेल में छह बच्चे अपनी माताओं के सात रहते हैं। सर्किल जेल में सबसे ज्यादा 17 महिलाएं भी बंदी मौजूद है।
इनको रखा जाता
जेल में बंद माताओं के साथ हर उम्र के बच्चों को नहीं रखा जाता है। जेल नियमावली के अनुसार जन्म से लेकर छह साल की आयु तक के बच्चों को ही जेल में माताओं के साथ रखने की अनुमति हैं। इससे अधिक आयु का बच्चा होने पर उसे उसके पिता या दादा-दादी, नाना-नानी को सौंप दिया जाता है।
जेल में बच्चों के लिए ये सुविधाएं
माताओं के साथ रहने वाले बच्चों को तमाम सुविधाएं जेल प्रशासन की तरफ से उपलब्ध कराई जाना अनिवार्य है। इसके चलते जेल में ऐसे बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, इस उम्र के हिसाब से विशेष भोजन, कपड़े आदि की सुविधाएं मुहैया कराई जाना अनिवार्य है। सर्किल सहित सभी जेलों में यह विशेष व्यवस्था है।
पालनाघर भी संचालित
सर्किल जेल में महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से पालनाघर भी संचालित किया जाता है। इसमें ऐसे बच्चों के लिए मनोरंजन की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।
ये जेल हैं सर्किल में
सर्किल जेल के अंतर्गत जिला जेल रतलाम, मंदसौर, नीमच और झाबुआ की जेलों के अलावा जावरा, जावद, खाचरोद, गरोठ, सैलाना और बदनावर की उपजेल भी आती है।
बच्चों को सारी सुविधाएं देते
माताओं के साथ जेल में बंद सभी बच्चों को जेल नियमों के अनुसार सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। सर्किल की सभी जेल और उपजेल में किसी तरह से छोटे बच्चों की सुविधाओं में कोई कमी नहीं रखते। जिला प्रशासन भी पूरी तरह हमारे साथ हर संभव मदद को तैयार रहता है।
– लक्ष्मणसिंह भदौरिया, अधीक्षक सर्किल जेल, रतलाम
जेल महिलाएं बच्चे
रतलाम 17 06
मंदसौर 14 01
नीमच 17 01
झाबुआ 11 01
कुल 59 09