युवाओं को चिंता करनी ही हो तो किसी बड़े उद्देश्य के लिए करें
एक अमिट मुस्कान सफलता की पहचान है।
इस व्यग्र और अस्थिर मन को वश में कैसे करें?
हानिकारक आदतों और व्यवहार के पैटर्न से बाहर निकलने का तरीका जानें।
भक्ति भय को दूर करती है।
–गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
हम स्वयं के अनुभवों की एक स्मृति के द्वारा मन को एक ऐसी स्थिति में ले जा सकते हैं, जहां कोई चिंता नहीं है। यदि आप भविष्य को लेकर चिंतित हैं अथवा आपको लगता है कि भविष्य अंधकारमय या अनिश्चित है, तो मैं चाहूंगा कि आप पीछे मुड़कर देखें कि यह पहली बार नहीं है जब आप ऐसा अनुभव कर रहे हैं। आप पहले भी चिंतित हुए हैं। क्या आपको वह समय याद है जब आप कॉलेज में प्रवेश पाने या नौकरी पाने को लेकर अनिश्चित थे। जैसे आप आत्म-संदेह और चिंता के उन क्षणों के बाहर निकल आये, वैसे ही आप इन क्षणों को भी पार कर लेंगे।
दूसरी बात है अपनी कुछ नया करने की भावना और स्वप्न देखने की क्षमता पर विश्वास करना। जो लोग चिंता करते हैं वे स्वप्न नहीं देख सकते। छात्रों और युवाओं के रूप में, अब आपको यह स्वप्न देखना शुरू कर देना चाहिए कि आप समाज को क्या लौटा सकते हैं।
यदि आप यह सोचते रहेंगे कि आपको इस दुनिया से क्या मिलने वाला है, तो चिंता का कोई अंत नहीं होगा। लेकिन यदि आप विचार करते हैं कि मुझे इतनी अच्छी शिक्षा दी गई है और अब मुझे उन उपायों के विषय में सोचना शुरू करना चाहिए जिनसे मैं योगदान करने की शुरुआत कर सकता हूं; मैं अर्थव्यवस्था बढ़ाने में कैसे सहायता कर सकता हूं।
मैं कैसे लोगों को एक साथ ला सकता हूं, मैं किस तरह से समाज में बढ़े मतभेदों को मिटा सकता हूं। यह विचार प्रक्रिया आपको छोटी-छोटी चिंताओं से उबरने में सहायता करेगी। अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाना और किसी बड़े उद्देश्य के बारे में चिंता करना आपके लिए कुछ विशेष लेकर आएगा।