जिद्द हो तो ऐसी…खुद चुनौतियों से लड़ी, अब हाथ के हुनर से 500 महिलाओं को दे रहीं रोजगार

लगन और मेहनत से काम किया जाए तो सफलता अवश्य ही मिलती है. आर्थिक स्थिति खराब होने से जिंदगी में कई तरह की समस्याएं भी आईं लेकिन चुनौतियों का सामना करते हुए मीरा ने कशीदा कारीगरी से न केवल अपने आपको आत्मनिर्भर बनाया है बल्कि आज 500 अन्य महिलाओं को भी रोजगार देकर उनके सपनों को पंख लगाए है.

हाथ का हुनर व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ स्वाभिमानी भी बनाता है. जो व्यक्ति आत्मनिर्भर बन जाता है वह कभी किसी दूसरे के आगे हाथ नहीं फैला सकता बल्कि बेरोजगारों को भी रोजगार देकर उन्हें आजीविका के लिए सक्षम बनाता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है बाड़मेर की मीरा देवी ने. पश्चिम राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले से करीब 100 किलोमीटर दूर सांवा गांव की रहने वाली मीरा देवी कशीदा कारीगरी में माहिर है. मीरा देवी पिछले कई वर्षो से राजस्थान की संस्कृति को बेड कवरों और कपड़ों पर हाथ से उकेर रही है.

2019 में 14 महिलाओं के संग शुरू किया कारोबारमीरा देवी ने साल 2019 में 14 महिलाओं को साथ जोड़ मां चामुंडा स्वयं सहायता समूह खड़ा किया.धीरे-धीरे और महिलाएं जुड़ी तो कारवां 36 तक जा पहुंचा और अब गांव की 500 महिलाओं को भी समूह के माध्यम से रोजगार मिल रहा है. मीरा देवी कशीदा कारीगरी से तैयार बेड कवर, कुशन कवर, मेज पॉश, वॉल पेंटिंग और कई तरह के पर्स को पांडुचेरी, मद्रास, केरल, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, बेगलुरु, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली, सूरजकुंड मेले सहित कई अन्य मेलों में प्रदर्शित कर चुकी है.

अब 500 पार पहुंच गया आंकड़ासांवा निवासी मीरा देवी बताती है कि साल 2019 में 14 महिलाओं के साथ समूह शुरू किया था. लेकिन कम पढ़ी लिखी महिलाओं की वजह से यह काम धीरे धीरे आगे बढ़ा और महज 4 साल में ही यह आंकड़ा 500 पार पहुंच गया है. अब महिलाएं खुद आत्मनिर्भर बन गई है वही व्यवसायी अमोलख राम बताते है कि हाथ के हुनर की वजह से महिलाएं घर बैठे ही अपना रोजगार चला रही है. इससे न केवल व खुद आत्मनिर्भर बन रही है बल्कि अपने परिवार का भी लालन पालन कर रही है.

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