अयोध्या राम मंदिर नहीं गए तो चिंता नहीं, श्रीराम के पदचिन्ह के दर्शन यहां करिए
अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चारों ओर अब राम नाम की चर्चा हो रही है. ऐसे में प्रभु श्रीराम से जुड़े स्थलों की चर्चा भी जारी है.
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला के जगन्नाथपुर प्रखण्ड क्षेत्र में स्थित रामतीर्थ धाम भी प्रभु श्रीराम के जुड़ा हुआ एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. यहां एक चट्टान पर मौजूद प्रभु श्रीराम के पदचिह्न मौजूद हैं, जिसकी पूजा की जाती है.
क्षेत्र में ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम अपने भ्राता लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ जब 14 वर्षों के वनवास पर थे, तो उस समय यहां भी पहुंचे थे. तीनों ने वैतरणी नदी के इस तट पर आराम किया था. इसके बाद भगवान राम ने खुद अपने हाथों से यहां शिवलिंग की स्थापना की थी. भगवान राम ने इस शिवलिंग की पूजा की थी और कुछ दिनों तक यहां विश्राम करने के बाद भगवान राम नदी पार कर आगे की यात्रा पर निकल गए थे.
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम रामतीर्थधाम में भगवान श्रीराम के पदचिह्न होने की मान्यता है.
कहा जाता है कि वे जाते समय अपना खड़ाऊं और पदचिह्र यहां छोड़ गए थे. किंवदंती है कि बहुत दिनों बाद पास के देवगांव के एक देवरी को स्वप्न आया, तब इस स्थान के बारे में पता चला. इसके बाद स्थानीय लोगों ने इस स्थल को मंदिर का स्वरूप दिया. ग्रामीण बताते हैं कि यहां मंदिर का निर्माण 1910 में कराया गया, जिसे रामेश्वर मंदिर कहा जाता है.
झारखंड का रामेश्वर मंदिर तीर्थस्थल अब रामतीर्थ के नाम से मशहूर है. अब यहां चार मंदिर मौजूद हैं. इनमें रामेश्वर शिव मंदिर, सीताराम मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर और बजरंग बली मंदिर शामिल हैं. मकर संक्रांति, महाशिवरात्रि और श्रावण महीने में यहां मेला लगता है.