IIM के प्रो. देवाशीष ने कहा- भक्तों को संभालने के लिए तिरुपति व स्वर्ण मंदिर जैसे मॉडल करें लागू
प्राण प्रतिष्ठा के बाद आम श्रद्धालु 23 जनवरी से रामलला के दर्शन कर सकेंगे। प्रतिदिन करीब डेढ़ लाख भक्तों के अयोध्या पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में दर्शन प्रबंधन के लिए खास इंतजाम करने होंगे।
प्रमुख मंदिरों और पर्यटन स्थलों पर शोध कर चुके भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) लखनऊ में विपणन विभाग के प्रो. देवाशीष गुप्ता ने अमर उजाला से खास बातचीत में कहा कि अयोध्या में तिरुपति बालाजी, तिरुमाला की तरह भक्त प्रबंधन और रामलला दर्शन का मॉडल लागू करना होगा।
अयोध्या का संपूर्ण सांस्कृतिक विकास कैसे हो…शहर के साथ ही सांस्कृतिक पहचान के केंद्र के रूप में भी बढ़ावा देना चाहिए। हर साल भारतीय संस्कृति पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार व संगोष्ठियां करनी होंगी। संस्कृति के लोकाचार को प्रसारित करने के लिए कार्यक्रमों के साथ एक केंद्र स्थापित करना होगा। दर्शनीय स्थल के रूप में एक समर्पित भारतीय संस्कृति गलियारा विकसित करना होगा।
पर्यटकों/तीर्थयात्रियों के अनुभव को सहज कैसे बना सकते हैं…
शुरुआत में श्रीराम के दर्शन के लिए लाखों भक्त हर महीने पहुंचेंगे। जरूरी है कि वे अच्छा अनुभव लेकर जाएं, तभी वे दोबारा जल्द आएंगे और दूसरों को प्रेरित करेंगे। दर्शन व भक्त प्रबंधन के लिए तिरुपति बालाजी, तिरुमाला मंदिर का ऑनलाइन बुकिंग मॉडल लागू करें।