आयकर विभाग ने टैक्सपेयर्स को दी बड़ी राहत, साथ ही मिली एक चेतावनी
किरायेदार के भुगतान किये गये किराये और प्राप्तकर्ता को मिले किराये का सत्यापन भी किया (HRA claim) गया था, ऐसे मामलों की संख्या अभी बहुत कम है।
बता दें कि सीबीडीटी (Central Board of Direct Taxes) ने अपने बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए कर्मचारी द्वारा भुगतान किये गये किराये और प्राप्तकर्ता को मिली राशि के बीच विसंगतियों वाले कुछ उच्च मूल्य के मामलों में आंकड़ों का विश्लेषण किया गया था। यह सत्यापन काफी कम मामलों में किया गया था और बड़ी संख्या में मामलों को दोबारा नहीं खोला गया है।
सचेत करना था एकल मकसद
भारत के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes) ने कहा कि ई-वेरिफिकेशन का उद्देश्य दूसरों को प्रभावित किये बिना केवल वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जानकारी में विसंगतियों से जुड़े मामलों के बारे में सचेत करना था।
भारत के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा कि करदाता की तरफ से दायर किये गये रिटर्न और आयकर विभाग के पास उपलब्ध जानकारी के बीच अंतर होने के कुछ मामले विभाग के नोटिस में आये हैं।
यह कुछ और नहीं बल्कि आंकड़ों के सत्यापन के लिए नियमित तौर पर उठाये जाने वाले कदमों का हिस्सा है। ऐसे मामलों में, विभाग ने करदाताओं को सचेत किया है ताकि वे सुधारात्मक कदम उठा सकें।
जानकारी के लिए बता दें कि आवास किराया भत्ता (house rent allowance) वेतन आय या सीटीसी (CTC) का हिस्सा होता है। इसकी गणना कर योग्य आय में की जाती है। हालांकि, अगर कोई कर्मचारी किराये के आवास में रहता है.
तो वह वैध किराए की रसीद जमा करके वर्ष के दौरान प्राप्त एचआरए के लिए आयकर छूट (income tax exemption) का दावा कर सकता है। हालांकि, अगर करदाता नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें कोई छूट नहीं मिलती है।