Income Tax विभाग ने बड़ी कम्पनियों को 25000 करोड़ का टैक्स नोटिस भेजने का किया फैसला, जानिए पुरा मामला

देश की कुछ बीमा कंपनियों को तगड़ा झटका लगने वाला है क्योंकि आयकर विभाग  (Income Tax Department) की पैनी नज़र इन कंपनियों पर पड़ गयी है और इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department news) इन्हें 25 हजार करोड़ रुपये का नोटिस भेजने की तैयारी कर रही है।

यह डिमांड नोटिस उन बीमा कंपनियों को भेजा जाएगा जिन्होंने हाई कमीशन का पेमेंट किया है और 1 अप्रैल 2023 से पहले की अवधि के लिए कटौती का दावा किया है।

हाल ही में मिली जानकारी के मुताबिक सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) 1 अप्रैल 2023 से पहले के कुछ वर्षों में बीमा कंपनियों ने कितना टैक्स पेमेंट किया, इसका फिर से एसेसमेंट कर रहा है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) टैक्स नोटिस भेजने की प्रक्रिया में है। अगले महीने मार्च के आखिरी तक सभी नोटिस भेज दिए जाएंगे।

ये है पूरा मामला

यह पूरा विवाद एक्स्ट्रा कमीशन से जुड़ा है। इनकम टैक्स विभाग (Income Tax Department) का कहना है कि एजेंट और इंटरमीडिएट्स को उस लिमिट से अधिक कमीशन दिया गया जो भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने तय किया है।

टैक्स अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं जिसमें कुछ अन्य खर्चों की आड़ में बीमा कंपनियों ने एक्स्ट्रा कमीशन बांटा है। सीबीडीटी कर चोरी के मामले में बीमा कंपनियों की जांच कर रही है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का दावा है कि बिना किसी सर्विस के एक्स्ट्रा कमीशन बांटा गया और कटौती का दावा किया गया। सीबीडीटी (CBDT) इसी की जांच कर रहा है कि कौन सा कमीशन बिना किसी सर्विस के दिया गया है और फिर इस पर बीमा कंपनियों को टैक्स चुकाने (income tax) को कहा जाएगा।

इसके अलावा जुर्माने की कार्यवाही भी शुरू हो सकती है। IRDAI ने 1 अप्रैल, 2023 से इंश्योरेंस सेक्टर में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन पर कैपिंग लिमिट हटा दी।

इस बात की हो रही जाँच 

बीमा कंपनियों की जांच इसलिए हो रही है क्योंकि उस चीज पर डिडक्शन की मंजूरी दी गई जिसे आय के रूप में दिखाना चाहिए। यदि कोई कंपनी इसे विज्ञापनों पर खर्च के रूप में दावा करती है, तो यह एक लागत है, जबकि कमीशन इनकम है।

बीमा कंपनियों पर अकाउंटिंग में धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। कोई कंपनी इनकम को खर्च के रूप में दर्ज नहीं कर सकती और कटौती का दावा नहीं कर सकती।

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