Income Tax Rules 2024: जॉइंट ऑनरशिप प्रोपर्टी में टैक्स की छूट पाने के लिए माननी होती है कुछ शर्तें, टैक्सपेयर्स जरूर जान लें

फ्लैट की ऑनरशिप में पति और पत्नी का नाम शामिल करना आम बात है। इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (ITAT) की मुंबई पीठ का हाल में आया एक फैसला कई लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।

ITAT ने व्यवस्था दी है कि जॉइंट ऑनरशिप से पति या पत्नी की आयकर (IT) अधिनियम की धारा 54-F के तहत टैक्स छूट का दावा करने की पात्रता पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

यह धारा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से संबंधित है। जब वह कोई पति या पत्नी दूसरी एसेट्स (जैसे भूमि, शेयर आदि) बेचती है और इससे हुई कमाई को किसी अन्य फ्लैट में निवेश करती है तो वह टैक्स बेनिफिट ले सकता है।

जब कोई टैक्सपेयर किसी भी संपत्ति (हाउस प्रॉपर्टी के अलावा) की बिक्री से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कमाता है, तो इस पर लगने वाले टैक्स को रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में निवेश करके बचाया जा सकता है।

कितनी छूट मिलेगी, यह नए घर में निवेश की गई राशि पर निर्भर करती है। यदि निवेश की गई रकम नेट सेल की राशि से कम है तो छूट प्रपोशनल होती है।

इस छूट का दावा करने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी है। इनमें से एक शर्त यह है कि ऑरिजिनल एसेट की बिक्री की तिथि पर टैक्सपेयर के पास एक से ज्यादा मकान नहीं होना चाहिए।

हाल ही में एस. सिंह से जुड़े एक मामले में ITAT ने व्यवस्था दी कि ऑरिजिनल एसेट की बिक्री के समय दो रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज में जॉइंट ऑनरशिप टैक्सपेयर को आयकर अधिनियम की धारा 54F के तहत छूट का दावा करने से वंचित नहीं करता है।

क्या है मामला-

इस मामले में टैक्सपेयर ने भोपाल में कृषि भूमि (यानी ऑरिजिनल एसेट) बेची थी और वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान 61.6 लाख रुपये का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन अर्जित किया था। निर्धारित समय सीमा के भीतर उन्होंने इसे एक नए मकान में निवेश किया और धारा 54F के तहत छूट का दावा किया।

उनके मामले की जांच की गई और उसके द्वारा दी गई जानकारी से पता चला कि इस भूमि की बिक्री के समय उनके पास दो रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज थीं। दोनों की जॉइंट ऑनरशिप थी।

एक में उनके पति और दूसरी में उनके पिता जॉइट ऑनर थे। चूंकि उसके पास एक से अधिक मकान थे, इसलिए आईटी अधिकारी ने उनके क्लेम को खारिज कर दिया।

महिला टैक्सपेयर ने तर्क दिया कि जिस घर में अपने पति के साथ रह रही थी, उसका जॉइंट ऑनरशिप था और लोन का भुगतान उसके पति द्वारा किया जा रहा था। HUF प्रॉपर्टी में भी वह जॉइंट ऑनर थी। ऐसे मामलों में हाई कोर्ट ने अलग-अलग फैसले दिए है।

ITAT ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक सिद्धांत निर्धारित किया था कि यदि दो रुख संभव हैं, तो टैक्सपेयर के लिए ज्यादा अनुकूल वाले रुख को अपनाया जाना चाहिए। इसलिए यह व्यवस्था दी गई कि महिला टैक्सपेयर टैक्स बेनिफिट का दावा कर सकती है।

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