Income Tax Slab: इनकम टैक्स दरों में नहीं हुआ कोई बदलाव, जानिए बजट 2024 से जुड़ा ताजा अपडेट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2024 के दौरान टैक्सेशन से जुड़ा कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है। इसके बावजूद करीब एक करोड़ लोगों को टैक्स से जुड़ा लाभ मिलेगा क्योंकि वित्त मंत्री ने पुराने टैक्सेशन से जुड़े पुराने विवादों के समाधान की दिशा में एक बड़ा एलान किया है।
वित्त मंत्री ने वर्षों से लंबित बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने का फैसला किया है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा है कि उन्होंने परंपरा को निभाते हुए अंतरिम बजट 2024 के दौरान टैक्स दरों को अपरिवर्तित रखा है। आइए जानते हैं अंतरिम बजट 2024 के बाद टैक्सेशन से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब।
सवाल: क्या सभी पुराने विवादित मामलों में करदाताओं को राहत मिलेगी?
जवाब: नहीं, वित्त मंत्री के ताजा एलान से कराधान से जुड़े सभी पुराने विवादित मामलों में करदाताओं को राहत नहीं मिलेगी। वित्त मंत्री के अनुसार वर्ष 1962 से जितने पुराने करों से जुड़े विवादित मामले चले आ रहे हैं
उनमें वर्ष 2009-10 तक लंबित रहे प्रत्यक्ष कर मांगों से जुड़े 25000 रुपये तक के मामलों को वापस लिया जाएगा। इसी तरह 2010-11 से 2014-15 के बीच लंबित रहे प्रत्यक्ष कर मांगों से जुड़े 10 हजार रुपये तक के मामलों को वापस लेने का फैसला किया गया है।
सवाल: वित्त मंत्री के फैसले से कितने करदाताओं को फायदा पहुंचेगा?
जवाब: वित्त मंत्री के अनुसार सरकार की ओर से पुराने विवादों को सुलझाने का कदम उठाने से कम से कम एक करोड़ करदाताओं को फायदा होगा। उन्होंने कहा है कि इससे ईमानदार करदाताओं को लाभ मिलेगा।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के साथ-साथ इंपोर्ट ड्यूटी के लिए भी समान दरों को बरकरार रखा गया है। स्टार्टअप्स और सॉवरेन वेल्थ व पेंशन फंड्स में निवेश करने वालों को टैक्स सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी।
सवाल: क्या वित्त मंत्री के एलान से टैक्स रिफंड की प्रक्रिया सरल होगी?
जवाब: हां, वित्त मंत्री की ओर से पुराने विवादों के समाधान के एलान से टैक्स रिफंड की प्रक्रिया में सुगमता आएगी। वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान जीवन की सुगमता और व्यापारिक सुगमता में सुधार करने की सरकार की परिकल्पना के तहत करदाताओं की सुविधा के लिए बड़ी घोषणा की है।
उन्होंने कहा, “बड़ी संख्या में कई छोटी-छोटी, गैर-सत्यापित, गैर-समायोजित या विवादित प्रत्यक्ष कर मांग बही खातों में लंबित हैं। इनमें से कई मांग तो वर्ष 1962 तक के भी पुराने समय से मौजूद हैं।
इनके कारण ईमानदार करदाताओं को परेशानी होती है तथा बाद के वर्षों में रिफंड जारी करने की प्रक्रिया में भी बाधा आती है। मैं वित्तीय वर्ष 2009-10 तक की अवधि से संबंधित पच्चीस हजार रुपए (25,000) तक तथा वित्तीय वर्ष 2010-11 से वर्ष 2014-15 से संबंधित दस हजार रुपए (10,000) तक की ऐसी बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस लेने का प्रस्ताव करती हूं। इससे लगभग एक करोड़ करदाताओं के लाभान्वित होने की अपेक्षा है।”
सवाल: क्या वित्त मंत्री के एलान से स्टार्टअप्स को भी फायदा पहुंचेगा?
जवाब: हां, वित्त मंत्री ने स्टार्टअप्स और पेंशन फंड्स में निवेश करने वालों को मिलने वाले कर लाभ की समयसीमा 31 मार्च 2024 से बढ़ाकर 31 मार्च 2025 कर दी है। ऐसे में स्टार्टअप्स को इस बजट से एक साल का अतिरिक्त कर लाभ मिलेगा।
इसके अलावे वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान कराधान के संबंध में किसी भी बदलाव से जुड़े प्रस्ताव का एलान नहीं किया है। वित्त मंत्री ने प्रत्यक्ष कर तथा आयात शुल्कों सहित अप्रत्यक्ष करों के संबंध में कर दरों को पहले के समान बरकरार रखा है।
उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप और सावरेन संपदा या पेंशन फंड द्वारा किए गए निवेशों के लिए कुछ कर लाभ तथा कुछ आईएफएससी यूनिटों की कतिपय आय पर कर छूट की समय सीमा 31 मार्च 2024 को समाप्त हो रही है। कराधान में निरंतरता बनाए रखने के लिए मैं समय सीमा की इस तारीख को 31 मार्च 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।
सवाल: 10 वर्षों में कितना डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन कितना बढ़ा?
जवाब: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बताया कि पिछले 10 वर्षों में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। इस दौरान टैक्स रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या में 2.4 गुना का इजाफा हुआ है।
सवाल: क्या आयकर रिटर्न के बाद टैक्स रिफंड के समय में कमी आई है?
जवाब: हां, बीते दस वर्षों में आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद करदाताओं को टैक्स रिफंड मिलने में लगने वाले समय में कमी आई है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि टैक्स रिटर्न के बाद रिफंड के समय में कमी आई है। पहले इसमें औसतन 93 दिन का समय लगता था अब यह कम होकर 10 दिन रहा गया है।
सवाल: स्टार्टअप्स और पेंशन कोषों पर क्या बोलीं वित्त मंत्री?
जवाब: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट में स्टार्टअप और पेंशन कोषों को कुछ कर लाभ का प्रस्ताव किया है। सरकार ने देश में स्टार्टअप इकाइयों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार द्वारा अबतक 1.17 लाख स्टार्टअप को मान्यता दी गई है।
स्टार्टअप इंडिया के लिए 16 जनवरी, 2016 को एक कार्ययोजना पेश की गई थी। इसके तहत सरकार कर और गैर-राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करती है। वित्त् मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत तथा टिकाऊ विकास पथ पर रखा गया है।
सवाल: सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए क्या लक्ष्य रखा है?
जवाब: वित्त मंत्रालय ने अपनी नवीनतम मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले तीन वर्षों में मौजूदा 3,700 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 5,000 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। इसमें कहा गया कि भारत अगले छह से सात वर्षों में (2030 तक) 7,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा रख सकता है।
सवाल: वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में करदाताओं को क्या संदेश दिया?
जवाब: वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में करदाताओं को आश्वस्त किया कि उनके योगदान का देश के विकास और जनता के कल्याण के लिए विवेकपूर्ण उपयोग किया गया है। उन्होंने करदाताओं के सहयोग के लिए उनकी सराहना भी की।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार ने कर दरों में कटौती की है और इन्हें विवेकपूर्ण बनाया है। नई कर योजना के तहत अब 7 लाख तक की आय वाले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं है।
वित्तीय वर्ष 2013-14 में 2.2 लाख तक की आय वाले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं थी। वित्त मंत्री ने बताया कि खुदरा व्यापार के लिए प्रीजम्प्टिव कराधान की सीमा 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ की गई है।
इसी प्रकार प्रीजम्प्टिव कराधान के पात्र व्यवसायियों के लिए यह सीमा 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख की गई। साथ ही कारपोरेट कर की दर मौजूदा स्वदेशी कंपनियों के लिए 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई और कुछ नई विनिर्माण कंपनियों के लिए यह दर 15 प्रतिशत की गई है।
सवाल: टैक्सपेयर्स को मिलने वाली सुविधाओं पर क्या बोलीं सीतारमण?
जवाब: वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि पिछले पांच वर्षों में करदाता सेवाओं में सुधार करने पर हमारा विशेष जोर रहा है। पहचान रहित निर्धारण और अपील की शुरुआत कर, क्षेत्राधिकार आधारित निर्धारण प्रणाली को बदल दिया गया जिससे कार्यकुशलता, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है।
अद्यतन की हुई आयकर विवरणियां, नया फार्म 26एएस और पहले से भरी हुई कर विवरणियां शुरू किए जाने से कर विवरणियां दाखिल करने की प्रक्रिया अधिक सरल और आसान हो गई है।