Independence Day 2024: उम्मीदों का प्रतीक लहरिया, जानिए क्यों खास है पीएम मोदी का ये साफा

PM Modi Jodhpuri Safa: भारत आज अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस दिन देश के नाम अपनी जान न्योछावर कर देने वाले वीर सपूतों को याद किया जाता है. इस खास मौके पर पीएम मोदी ने 11वीं बार लाल किले पर झंडा फहराया. आजादी दिवस के इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मल्टी-कलर जोधपुरी साफा पहने दिखाई दे रहे है.
खैर, आपको बता दें पीएम मोदी ने इस बार खास जोधपुरी साफे को चुना. इसे राजस्थान की आन-बान-शान कहा जाता है. इसे लहरिया साफा भी कहा जाता है. लहरिया को लेकर ऐसा माना जाता है कि ये एक ऐसा शिल्प है, जो राजस्थान जैसे शुष्क राज्य के लोगों को उम्मीद देता है. वो उम्मीद या आशा जो पानी की ‘लहर’ अपने साथ लाती है. बहरहाल, आपको इस साफे की खासियत के बारे में बताते हैं.
टाई-डाय से तैयार
लहरिया एक टाई-डाई तकनीक है, जिसके तहत कपड़े पर मल्टी कलर की लेयर की जाती है. ये लेयर लहरों की तरह ही दिखाई देती है. आपको बता दें कि लहरिया एक जल-केंद्रित शिल्प है क्योंकि इसे बनाने में काफी मात्रा में पानी का इस्तेमाल किया जाता है. इसे बनाने के लिए काफी लंबे प्रोसेस को फॉलो किया जाता है.
गीले धागों का इस्तेमाल
ऐसा माना जाता है कि कपड़े को बांधने के लिए आमतौर पर सूती, पॉलिस्टर, नायलॉन, रेशम, जूट और एल्युमीनियम के गीले धागों की जरूरत होती है. इसके लिए मुड्डा यानी लकड़ी के एक छोटा स्टूल की भी जरूरत होती है. इसके सिरे पर एक डंडा लगा होता है, जिससे कपड़े को बांधा जाता है.
ऐसे किया जाता है कलर
कपड़े को डाई करने के लिए इन्हें गर्म कलर मिक्सचर में डाला जाता है. इसमें नमक भी मिलाया जाता है. इसके बाद, कपड़े को अच्छी तरह से मोड़कर हल्के हाथों से पीटा जाता है. इससे रंग ज्यादा गहराई के धागों के अंदर तक जाता है. इसके बाद खूंटी की मदद से कपड़ से पानी को निकाला जाता है. कपड़ा सूखने के बाद, इसे खोलने के लिए उसके एक सिरे को पैर के अंगूठे में घुमाया जाता है. ऐसा गांठों के ढीले सिरों को खींचकर किया जाता है. इस तरह से लहरिया तैयार किया जाता है.
लहरिया ज्यादातर ब्रीजी यानी हवादार कपड़ों पर बनाया जाता है, जो राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी में महिलाओं की पसंदीदा फैब्रिक्स में माना जाता है.तीज और गणगौर जैसे त्योहारों के लिए महिलाएं समुद्र राजशाही लहरिया पहनती हैं. शरदपूर्णिमा के दौरान, वे हल्के गुलाबी रंग का लेहरिया पहनते हैं, जिसे मोठिया भी कहा जाता है.

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