इंडिया गठबंधन के नेता बैठक में साथ, फिर देशव्यापी प्रदर्शन में क्यों नहीं दिखी एकता?
बीजेपी के खिलाफ बनी इंडिया गठबंधन के नेताओं की 19 दिसंबर को अखिल भारतीय स्तर पर दिल्ली में बैठक हुई. इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि संसद के दोनों सदनों से विपक्षी सांसदों के सामूहिक निलंबन के विरोध में शुक्रवार को देश भर में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा, लेकिन यह विरोध दिल्ली तक ही सीमित रहा. हालांकि जिन भी राज्यों में प्रदर्शन हुआ, तो इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने अलग-अलग प्रदर्शन किया. कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र, बंगाल सहित कई राज्यों में प्रदर्शन किया. वहीं सपा के समर्थकों ने यूपी में प्रदर्शन किया, लेकिन दिल्ली को छोड़कर देश में कहीं भी इंडिया गठबंधन के बैनर तले प्रदर्शन नहीं हुआ.
अतः एक बार फिर यह सवाल उठ रहा है कि भले ही गठबंधन अखिल भारतीय स्तर पर हो, लेकिन क्या यह गठबंधन राज्य स्तर पर प्रभावी है? इंडिया गठबंधन क्या होगा? या फिर पार्टियां राज्य में अपना गठबंधन बनाएंगी और बीजेपी के खिलाफ लड़ेंगी?
ऐसा क्यों है? इसके बारे में अलग-अलग राय हैं, लेकिन उनमें से सबसे बड़ी बात कांग्रेस और अन्य गठबंधन सहयोगियों के बीच दूरियां हैं. गठबंधन की कई बैठकों के बावजूद घटक दलों के बीच दूरियां बनी हुई है. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर कोई राजनीतिक कार्यक्रम को सफल बनाना कठिन है.
भारत के अधिकतर विपक्षी दल मोदी सरकार को हटाना चाहते हैं. विपक्षी राजनीति दलों में केवल यही एकमात्र मुद्दा है, जिस पर सभी की सहमति है. इसके अलावा अन्य सभी मुद्दों पर कोई सहमति नहीं बन सकी. और कई लोगों के मुताबिक, विपक्षी खेमे में सबसे पुरानी पार्टी के रूप में कांग्रेस के भीतर का ‘नेतृत्व’ भी इसकी वजह है.
दिल्ली में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन
दिल्ली में विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर चौधरी, माकपा के राज्य सचिव सीताराम येचुरी, भाकपा महासचिव डी राजा, सीपीआई (एमएल-लिबरेशन) नेता दीपांकर भट्टाचार्य मौजूद थे. तृणमूल कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सांसद मौसम बेनजीर नूर मंच पर नजर आईं. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन जिस व्यापक स्तर पर होना चाहिए था. यह नहीं दिखा, हालांकि कांग्रेस नेतृत्व में से राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने भाषण में संसद से सांसदों के निलंबन से लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला.
‘इंडिया’ की पिछली बैठक में चर्चा का मुख्य विषय लोकसभा की ज्यादातर सीटों पर एक के खिलाफ एक के फॉर्मूले पर लड़ना था. तृणमूल की ओर से कहा गया है कि समझौते को 31 दिसंबर तक अंतिम रूप दिया जाना चाहिए. अब और देर नहीं कर सकते. कांग्रेस के जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राज्य में 2023 के अंत तक सीट समझौते को अंतिम रूप दे दिया जाएगा. लेकिन गठबंधन के कई सहयोगियों को इस बात पर संदेह है कि क्या शीट शेयरिंग का फार्मूला दिसंबर तक तय हो पाएगा, क्योंकि अब मात्र कुछ ही दिन दिसंबर समाप्त होने में बचे हैं.
राज्यों में पार्टियों का अलग-अलग प्रदर्शन
बता दें कि पिछली बैठक में तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने जानकारी दी थी कि 22 दिसंबर को उनके राज्य में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होगा. क्योंकि उस दिन तमिलनाडु राज्य दिवस है. इसके अलावा राज्य के बड़े हिस्से में बाढ़ की स्थिति है. इसी तरह से बंगाल में भी इंडिया गठबंधन की पार्टियां शुक्रवार को सड़क पर नजर नहीं आईं. पश्चिम में तृणमूल-सीपीएम-कांग्रेस कोई संयुक्त कार्यक्रम करेगी.
यह वर्तमान के राजनीतिक परिदृश्य में असंभव ही लग रहा है. लेफ्ट ने शनिवार को बंगाल में अलग कार्यक्रम करने का फैसला किया है. ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि जब इंडिया गठबंधन एकजुट होकर देशव्यापी प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है, तो फिर एकजुट होकर कैसे बीजेपी के खिलाफ लड़ेगा?