India Europe Free Trade Agreement: शराब शौकीनों के लिए अच्छी खबर, जल्द सस्ती हो सकती है ब्रांडेड व्हिस्की

भारत में शराब का कंजप्शन लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में कई देसी ब्रांड तो पॉपुलर हो रही हैं, इंडिया मेड फॉरेन लिकर का भी देश में अलग क्रेज देखने को मिल रहा है. लेकिन ये खबर विदेशी शराब पीने का शौक रखने वालों के लिए है,क्योंकि आने वाले समय में विदेशी व्हिस्की हर पार्टी की शान बढ़ा सकती है.देश में बहुत जल्द विदेशी व्हिस्की की कीमतें कम होने जा रही हैं.
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर 9वें दौर की बातचीत शुरू हो चुकी है. इस बैठक में कई वस्तुओं की इंपोर्ट ड्यूटी कम करने, कार्बन टैक्स से राहत देने को लेकर बातचीत होनी है. वहीं शराब पर टैक्स कम करना भी बैठक का एक अहम एजेंडा है.
100% तक कम हो जाएगी शराब की कीमत
यूरोपीय संघ की मांग है कि भारत विदेशी शराब यानी यूरोप से आने वाली व्हिस्की पर इंपोर्ट ड्यूटी काक कम करे. अभी देश में विदेशी शराब पर 150 फीसदी का टैक्स लगता है. एफटीए के तहत भारत अगले 10 साल में इंपोर्ट ड्यूटी को 150 से 50 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा है. जबकि भारत चाहता है कि उसके यहां जो व्हिस्की प्रोड्यूस होती है, उसके यूरोप एक्सपोर्ट के लिए उसका मैच्योरिटी पीरियड घटा दिया जाए.
अभी यूरोप में 3 साल पुरानी व्हिस्की के ही इंपोर्ट को मान्यता मिलती है, जबकि ब्रांडी के लिए ये लिमिट 1 साल की है. भारत चाहता है कि व्हिस्की की मैच्योरिटी एज को 3 साल से नीचे लाया जाए.एफटीए की शर्तों पर सहमति बनाने के लिए होने वाली ये 5 दिवसीय बैठक 23 सिंतबर से शुरू हो चुकी है.
भारत के एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए जरूरी एफटीए
भारत और यूरोप के बीच एफटीए को लेकर ये बातचीत जून 2022 में करीब 8 साल बाद दोबारा शुरू हुई. उससे पहले 2013 में कई अंतर्विरोधों के चलते ये बातचीत रुक गई थी जो 2007 में शुरू हुई थी. इस एफटीए के तहत यूरोप भारत से उसके एक्सपोर्ट किए जाने वाले सामानों में 95 प्रतिशत पर टैक्स में छूट चाहता है. इसमें ऑटोमोबाइल और कृषि उत्पाद शामिल हैं. वहीं भारत को अपने मैन्युफैक्चरिंग गुड्स और सर्विस सेक्टर के लिए यूरोप में एक बड़ा मार्केट मिलने की उम्मीद है.
भारत और यूरोप के बीच कुल ट्रेड 2023 में 200 अरब डॉलर को पार कर चुका है. भारत ने यूरोपीय संघ के 27 देशों को 2023 में 75.18 अरब डॉलर का माल और 31.13 अरब डॉलर की सर्विसेस एक्सपोर्ट की हैं, जबकि यूरोपीय संघ का भारत को कुल एक्सपोर्ट करीब 103 अरब डॉलर का रहा है.

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