भारत ने एक और उपलब्धि अपने नाम की… पीएम मोदी ने आदित्य के एल1 प्वाइंट पर पहुंचने की दी बधाई
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक बार फिर से बड़ी कामयाबी हासिल हुई है. इसरो शनिवार को अपने अंतरिक्ष यान आदित्य एल1 को सफलता पूर्व लैंग्रेज पॉइंट के करीब उस हेलो ऑर्बिट में स्थापित कर दिया है जहां से रहकर वो सूर्य से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करेगा. इसरो की इस बड़ी कामयाबी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए देश के वैज्ञानिकों को बधाई दी है.
पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, वैज्ञानिकों के असाधारण उपलब्धि की सराहना की. पीएम ने कहा, भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है. भारत का पहला सोलर ऑब्जर्वेटरी आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गया है. यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियान को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. मैं देशवासियों के साथ इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करता हूं. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे.
India creates yet another landmark. Indias first solar observatory Aditya-L1 reaches it destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
इसरो बोला- हमने सूर्य को नमस्कर कर दिया है
वहीं, आदित्य एल1 को सफलतापूर्वक हेलो ऑर्बिट में स्थापित किए जाने के बाद इसरो का बयान भी सामने आया है. इसरो ने कहा है कि हमने सूर्य को नमस्कार कर दिया है. सूर्य पास हेलो ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद अब आदित्य एल1 पांच साल तक सूरज का अध्ययन करेगा और फिर इसरो को महत्वपूर्व जानकारी उपलब्ध कराएगा.
क्या है लैंग्रेज पॉइंट?
लैंग्रेज पॉइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित एक प्वाइंट है. इस प्वाइंट पर पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाता है. यहां से सैटलाइट, स्पेसक्राफ्ट स्थिर रहकर काम कर सकते हैं. हेलो ऑर्बिट में चक्कर लगाते हुए आदित्य कई कोणों से सूर्य की स्टडी करेगा. यहां ग्रहण की बाधा भी नहीं पड़ती है मतलब यहां से सूरज पर लगातार नजर रखी जा सकती है.
क्या करेगा आदित्य एल1?
आदित्य एल हेलो ऑर्बिट में रहकर सौर तूफानों के साथ-साथ सूर्य में उठने वाली लपटों से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करेगा. इसके साथ-साथ यह सूर्य की गतिविधियों पर रियल टाइम नजर रखेगा और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव से जुड़ी जानकारी को रिकॉर्ड करेगा और इसरो को मुहैया कराएगा. इसरो ने पिछले साल 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से इसे आदित्य को लॉन्च किया था.