भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी लगाने के फैसले का मैतई समुदाय ने किया स्वागत, विरोध में आए नागा कुकी संगठन
मुक्त आवाजाही व्यवस्था सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी की यात्रा करने की अनुमति देती है. भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी करने के केंद्र के फैसले का इंफाल घाटी स्थित मैतई संगठनों ने स्वागत किया है.वहीं दूसरी ओर, मणिपुर में नगा और कुकी निकायों ने इसको लेकर विरोध दर्ज कराया है. गौरतलब है कि मंगलवार को सोशल मीडिया पोस्ट पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि केंद्र सरकार अभेद्य सीमाएं बनाने के लिए प्रतिबद्ध है.उन्होंने कहा कि सरकार ने पूरी 1643 किलोमीटर की लंबी भारत-म्यांमार सीमा पर फेंसिंग करने का फैसला किया है.
अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में हर एक किलोमीटर की दूरी पर फेंसिंग की जाएगी. इसके अलावा इसके मणिपुर में लगभग 20 किलोमीटर तक बाड़ लगाने के काम को भी मंजूरी दे दी गई है और काम जल्द ही शुरू हो जाएगा. इसके साथ ही बेहतर निगरानी सुविधा, सीमा पर एक गश्ती ट्रैक बनाने भी बनाया जाएगा. इस बाड़ेबंदी का उद्देश्य म्यांमार से हो रही घुसपैठ को रोकना है.
भूमि क्षेत्र से समझौता नहीं- COCOMI
घाटी स्थित नागरिक निकायों की एक संयुक्त संस्था, समन्वय समिति (COCOMI) ने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले का स्वागत किया, लेकिन आगाह किया कि इस प्रक्रिया के दौरान राज्य के किसी भी भूमि क्षेत्र से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. COCOMI के सहायक मीडिया समन्वयक एम धनंजय ने कहा कि अगर यह 30 साल पहले किया गया होता, तो हमें वह हिंसा नहीं देखने को मिलती, जो हम आज देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं की तस्करी होती है, जिससे युवाओं को खतरा है.
भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है
एम धनंजय ने कहा कि देश की सीमा को फेंसिंग के जरिए बंद किया जाना चाहिए. हम इस फैसले का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि इस काम को इस तरह से किया जाना चाहिए, कि हमारे भूमि क्षेत्र न छूटे. इंफाल घाटी स्थित मैतेई समूहों की लागातर मांग रही है कि म्यांमार से सटी सीमा को बाड़ लगाकर बंद किया जाए. मैतेई समूहों का यह भी आरोप है कि बिना बाड़ वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा का फायदा उठाकर भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है.