Indian Organ Donation Day : अंगदान के इन मिथ पर क्या आप भी करते हैं भरोसा? एक्सपर्ट्स से जानें
देश में 3 अगस्त को आज भारतीय अंगदान दिवस मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों के अंगदान के बारे में जागरूक करना होता है. भारत में अंगदान करने वालों की संख्या काफी कम है. हर साल लाखों लोगों को बीमारी के इलाज के लिए ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है, लेकिन कम ही लोगों को किसी दूसरे व्यक्ति का अंग मिल पाता है. नेशनल हेल्थ पोर्टल 2021 की रिपोर्ट बताती है की देश में प्रति 10 लाख लोगों में से 1 फीसदी भी अंगदान नहीं करते हैं.
लोगों में अंगदान को लेकर जागरूकता की काफी कमी है. अंगदान को लेकर कई मिथ यानी गलत धारणाएं भी हैं, जिनके कारण लोग अंगदान करने से बचते हैं. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अंगदान को लेकर दशकों से कई तरह की गलत धारणाएं समाज में है. इनमें अंगदान के बाद शरीर विकृत हो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर नेत्रदान के लिए मृतक की आंखें निकाली जाती है तो वहां आर्टिफिशियल आंखें लगा दी जाती हैं और पलकों को बंद कर दिया जाता है. जिसके किसी अंतर का पता नहीं चलता है. स्किन दान के लिए डॉक्टर मृतक के शरीर पर पील की तरह ही आर्टिफिशियल स्कीन लगा देते हैं.
पैसे लिए जाते हैं
कई मामलों में लोगों को लगता है कि अंगदान के लिए डोनर के परिवार को पैसे देने होते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. ऐसे मामले में कभी पैसे नहीं लिए जाते हैं.मृतक के परिवार के सदस्यों की सहमति के बाद और बिना पैसों के ही शरीर से ऑर्गन निकालते जाते हैं. इसके लिए पूरी कागजी कार्रवाई होती है और अंगदान होने के कुछ घंटों के भीतर ही अंगों को दूसरे मरीज में ट्रांसप्लांट किया जाता है.
कौन कर सकता है अंगदान
सफदरजंग अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग में एचओडी डॉ हिमांशु वर्मा बताते हैं कि कोई भी स्वस्थ व्यक्ति अंगदान कर सकता है. केवल एचआईवी, कैंसर और अन्य किसी गंभीर बीमारी या वायरस से पीड़ित व्यक्ति अंगदान नहीं कर सकता है. अंगदान जीवित और मृतक दो प्रकार का होता है. जीवित व्यक्ति अपनी एक किडनी, लिवर का कुछ हिस्सा दान कर सकता है. मृतक के परिजनों की सहमति के बाद उसके शरीर के अंग जैसे हार्ट, आंखें, कॉर्निया, टिश्यू और स्किन का भी दान किया जा सकता है. अंगदान के आप www.rnos.org, www.notto.nic.in पर पंजीकरण कर सकते हैं.