₹5 वाले शेयर में पैसा लगाएं या 500 वाले में, भाव देखकर स्टॉक खरीदना कितना सही?
How to Buy Shares: शेयर खरीदने से पहले अक्सर लोग भाव देखते हैं इसलिए कम कीमत वाले स्टॉक्स छोटे निवेशकों को ज्यादा पसंद आते हैं. लेकिन, क्या कम प्राइस वाले शेयरों को बड़ी संख्या में खरीदना समझदारी है?
ज्यादातर निवेशक बड़ी कंपनियों के शेयरों को इसलिए नहीं खरीदते हैं कि इनका भाव बहुत ज्यादा है और कम कीमत वाले किसी भी कंपनी के शेयर खरीद लेते हैं. लेकिन, ऐसा करना सही नहीं है. खुद मार्केट एक्सपर्ट भी शेयर खरीदने के इस तरीके को सही नहीं मानते हैं. हालांकि, यह भी सच है कि छोटी कीमत वाले शेयरों ने लंबी अवधि में तगड़ा रिटर्न दिया है. लेकिन, यह पूरी तरह से कंपनी की ग्रोथ पर निर्भर करता. आइये जानते हैं भाव देखकर शेयर खरीदने वाली सोच कितनी सही है और एक्सपर्ट पर इसकी क्या राय है.
शेयरों का सिर्फ भाव नहीं देखें
एक्सपर्ट का मानना है कि अकेले शेयर की कीमत किसी कंपनी के मूल्य को आंकने का अच्छा तरीका नहीं है. शेयर का चुनाव हमेशा कंपनी और स्टॉक के प्रदर्शन को देखकर करना चाहिए. कम कीमत में ज्यादा शेयर मिल रहे हैं यह सोचकर कभी शेयर नहीं खरीदने चाहिए.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में कमोडिटी हेड, अनुज गुप्ता का कहना है कि किसी भी शेयरों को खरीदने से पहले कंपनी के फंडामेंटल, प्रोडक्ट और बिजनेस मॉडल पर फोकस किया जाता है. इसके बाद शेयरों को किस भाव पर खरीदना है यह देखने के लिए टेक्निकल चार्ट की मदद ली जाती है. अगर कंपनी के फंडामेंटल स्ट्रॉन्ग नहीं हैं तो शेयरों की खरीदी से बचना चाहिए.
परसेंटेज में देखें प्रॉफिट
मान लीजिए आपके पास 100000 रुपये हैं और निवेश के लिए दो शेयरों में से किसी एक को चुनना है. एक शेयर की कीमत 5 रुपये है जबकि दूसरे शेयर की कीमत 500 रुपये. अगर आप 5 रुपये वाले शेयर खरीदते हैं तो 1 लाख रुपये में कुल 20000 शेयर खरीद लेंगे. वहीं, अगर 500 रुपये वाले शेयर खरीदते हैं तो कुल 200 शेयर मिल जाएंगे. आमतौर पर रिटेल इन्वेस्टर्स कम कीमत में ज्यादा शेयर खरीदने की सोचते हैं ताकि मिलने वाला रिटर्न शेयरों की संख्या के हिसाब से ज्यादा हो. लेकिन, शेयरों से मिलने वाला रिटर्न निर्भर करता है कंपनी के प्रदर्शन पर, यदि कंपनी अच्छा परफॉर्म करती है तो शेयरों की कीमत पर इसका असर देखने को मिलता है.
मान लीजिये, 5 रुपये वाले शेयर की कीमत एक साल में 0.50 पैसे बढ़ी तो परसेंटेज के लिहाज से मिलने वाला रिटर्न 10 फीसदी है. ऐसे में 1 लाख के निवेश पर 10,000 रुपये का लाभ होगा. वहीं, 500 रुपये वाले शेयर का भाव बढ़कर 600 रुपये हो जाता है तो मिलने वाला रिटर्न 20 फीसदी हो जाता है. ऐसे में 1 लाख रुपये के निवेश पर मिलने वाला रिटर्न 20,000 रुपये हो जाता है. अब सोचिये, कहां निवेश करने पर ज्यादा फायदा हुआ.
हर शेयर मल्टीबैगर नहीं हो सकता!
हालांकि, कम कीमत वाले शेयर भी अच्छा रिटर्न दे सकते हैं. लेकिन, यह कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है. शेयर बाजार में हजारों कंपनियां लिस्टेड हैं. इनमें से बेहतर फंडामेंटल वाली कंपनियों का चुनाव करना थोड़ा मुश्किल काम होता है. लेकिन, अच्छे फंडामेंटल वाली कंपनी मार्केट में अपनी खास पहचान रखती है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में कई छोटी-मझोली कंपनियों के शेयरों ने जबरदस्त रिटर्न दिया है. 10 रुपये वाले शेयर की कीमत 100 से लेकर 1000 रुपये तक चली गई.
लेकिन, यह हर कंपनी के साथ हो ऐसा मुमकिन नहीं है. क्योंकि, यह पूरी तरह से कंपनी की ग्रोथ और बिजनेस पर निर्भर करता है. अगर कोई कम कीमत वाला शेयर फंडामेंटल और टेक्निकल सभी पैरामीटर पर फीट बैठता है तो इसमें खरीदारी की जा सकती है. कोई भी शेयर मल्टीबैगर, कंपनी की ग्रोथ और उसके बिजनेस के आधार पर बनता है इसलिए कम भाव देखकर ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करना शेयर बाजार में निवेश की सही रणनीति नहीं हो सकती है.