iPhone का स्कैम! क्या नए अपडेट के साथ बेकार होते जाते हैं एपल के फोन, क्या है सच?
महंगे आईफोन को लेकर एक बात क्लियर है कि इनका मेंटेनेंस और रिपेयरिंग भी महंगी होती है. खासकर तब जब से वारेंटी से बाहर हों. इस बीच कई यूजर्स एपल आईफोन की क्वालटी पर भी सवाल उठाते रहते हैं. कई लोगों का मानना है कि एपल जानबूझकर अपने फोन्स को स्लो करता है. वहीं कुछ यूजर अक्सर ये मुद्दा उठाते आए हैं इन महंगे फोन्स में आखिर दिक्कत क्यों आने लगती है.
iPhone के साथ जुड़ा हुआ ये काफी चर्चित मुद्दा है कि क्या Apple जानबूझकर अपने पुराने मॉडल्स को नए iOS अपडेट के साथ धीमा कर देता है, ताकि यूजर्स नए फोन खरीदने पर मजबूर हो जाएं. इस पर कई बार चर्चा हो चुकी है और कुछ तथ्य भी सामने आए हैं.
बैटरी और परफॉर्मेंस थ्रॉटलिंग
2017 में Apple ने खुद इस बात को स्वीकार किया कि वो iPhone के पुराने मॉडल्स (जैसे iPhone 6, 6S, SE) की परफॉर्मेंस को स्लो कर देते हैं. इसका कारण उन्होंने बताया कि जब बैटरी पुरानी हो जाती है और उसकी क्षमता कम हो जाती है, तो फोन अचानक बंद न हो, इसलिए परफॉर्मेंस को थ्रॉटल किया जाता है. इस मुद्दे पर एपल की बहुत आलोचना हुई और इसे “Batterygate” कहा गया. इसके बाद Apple ने सॉरी कहा और बैटरी बदलने की कीमत में छूट देने का ऐलान किया . इसके लिए एपल पर 25 मिलियन यूरो का जुर्माना भी लगाया गया था.
क्या यह स्कैम है?
कुछ यूजर्स और एक्सपर्ट इसे एक तरह का “स्कैम” मानते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि Apple ये काम इसलिए करता है ताकि यूजर्स नए iPhone खरीदें. हालांकि, Apple का तर्क है कि यह कदम इसलिए उठाया जाता है ताकि पुराने iPhones की बैटरी लाइफ बढ़ाई जा सके और उनके अचानक बंद होने से बचा जा सके.
नए अपडेट्स और पुराने फोन
नए iOS अपडेट्स को पुराने हार्डवेयर पर चलाने में भी परेशानी आ सकती है, क्योंकि नए फीचर्स और अपग्रेड्स पुराने प्रोसेसर और RAM के लिए हैवी हो सकते हैं. ये भी एक कारण हो सकता है कि पुराने iPhone मॉडल्स नए अपडेट के साथ धीरे चलने लगते हैं.
आईफोन की परफॉर्मेंस का सच क्या है?
Apple का पक्ष है कि कंपनी बैटरी और परफॉर्मेंस को बैलेंस करने के लिए ऐसा करती है ताकि यूजर्स का एक्सपीरियंस खराब न हो. वहीं कई यूजर्स का मानना है Apple ऐसा जानबूझकर करता है ताकि उन्हें नया फोन खरीदने के लिए तैयार किया जा सके.दोनों ही पक्षों के तर्कों में कुछ हद तक सचाई है, लेकिन यह भी मुमकिन है कि पुराने हार्डवेयर के साथ नए सॉफ्टवेयर की कॉम्पैटिबिलिटी मुश्किल हो.
कुलमिलाकर आप iPhone का उपयोग कर रहे हैं और परफॉर्मेंस से संतुष्ट नहीं हैं, तो Apple की बैटरी या दूसरे पार्ट्स की रिपेयरिंग ही एक मात्र विकल्प है, जो कई बार काफी महंगा साबित होता है. इसलिए सिर्फ आईफोन खरीदने के लिए ही नहीं आईफोन की मेंटेनेंस को लेकर भी आपको अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ेगी.