Iran Israel War: बढ़ जाएगा EMI कम होने का इंतजार? कहीं RBI को…
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद ईरान और इजरायल के बीच भी तनाव बढ़ने से वैश्विक स्तर पर जोखिम काफी बढ़ गया है। इससे ना सिर्फ कई नए आर्थिक संकट आने की आशंका है, बल्कि आपकी EMI कम होने का इंतजार भी लंबा खिंच सकता है।
दरअसल, इकोनॉमिक एक्सपर्ट का मानना है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ते संकटों को देखते हुए RBI ब्याज दरों में कटौती करने के लिए ज्यादा वक्त ले सकता है।
ब्याज दरों में कटौती में देरी क्यों होगी?
ब्रोकरेज फर्म कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का कहना है कि आर्थिक नजरिए से कई चीजें गड़बड़ हो रही हैं। जैसे कि कच्चे तेल का दाम बढ़ रहा है और अमेरिका में भी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती के मूड में नहीं दिख रहा। साथ ही, महंगाई में भी लगातार उतार-चढ़ाव बरकरार है।
हालांकि, इन वैश्विक चुनौतियों के बावजूद कोटक ने ब्याज दरों में कटौती का अपना पुराना अनुमान बरकरार रखा है। कोटक का मानना है कि रिजर्व बैंक (RBI) की वित्त वर्ष 2024-25 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर सकता है।
महंगाई बनेगी बड़ी चुनौती
ब्रोकरेज फर्म कोटक का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में औसत महंगाई पांच प्रतिशत से अधिक रह सकती है। इसकी कई वजहें हैं। एक तो खाद्य महंगाई में लगातार उतार-चढ़ा हो रहा है। तेल निर्यातक संगठन ओपेक क्रूड ऑयल की सप्लाई में कटौती कर रहा, जिससे कीमतों में उछाल आ रहा है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास भी इन चुनौतियों से वाकिफ हैं। उनका भी यही कहना है कि केंद्रीय बैंक महंगाई के काबू में आने के बाद ही ब्याज दरों में कटौती पर कोई फैसला लेना चाहता है।
मोतीवाल ओसवाल का क्या है अनुमान
एक अन्य ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि महंगाई और औद्योगिक उत्पादन का डेटा उम्मीद के अनुरूप रहा है। इससे मौद्रिक नीति पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। हमें उम्मीद है कि अगले वर्ष औसत खुदरा महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रह सकती है। हमारा मानना है कि आरबीआई मौजूदा वित्त वर्ष के अंत में ब्याज में कटौती कर सकता है।