संसद में उठा झारखंड का मुद्दा, जानिए कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने राज्यसभा से क्यों किया वॉकआउट

जेएमएम नेता हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्यपाल की ओर से झारखंड में नई सरकार को लेकर कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई। इसे लेकर कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्यसभा से वॉकआउट किया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने झारखंड के घटनाक्रम की तुलना पड़ोसी राज्य बिहार में हाल में हुए घटनाक्रम से की। उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था तब उनका इस्तीफा तुरंत स्वीकार कर लिया गया। उन्हें नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने के लिए कहा गया था।

राज्यसभा में झारखंड का मुद्दा

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि नीतीश कुमार को कुछ ही घंटे में फिर से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। सब कुछ 12 घंटे में संपन्न हो गया। लेकिन झारखंड में जब हेमंत सोरेन ने बुधवार को इस्तीफा दिया तो कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई। खरगे ने आगे कहा कि हेमंत सोरेन का इस्तीफा होने के बाद 81 सदस्यीय विधानसभा में समर्थन देने वाले 43 विधायकों के हस्ताक्षर के साथ उनके उत्तराधिकारी का नाम भी राज्यपाल को सौंपा गया। उन्होंने कहा कि समर्थन करने चार अन्य विधायक भी थे जो राज्य से बाहर थे और अपने हस्ताक्षर नहीं कर सके। बावजूद इसके राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने आगे कोई इंतजाम नहीं किया।

खरगे ने संविधान के प्रावधान का किया जिक्र

खरगे ने कहा कि संविधान में प्रावधान है कि मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने की स्थिति में सरकार बनी रहेगी। राज्यपाल वैकल्पिक व्यवस्था होने तक इस्तीफा देने वाले मुख्यमंत्री या किसी अन्य व्यक्ति के पद पर बने रहने की अंतरिम व्यवस्था करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल बहुमत रखने वाले दल से सरकार बनाने को कहते हैं और फिर उनसे विश्वास मत हासिल करने को कहा जाता है।

बिहार का जिक्र कर खरगे ने क्या कहा

कांग्रेस नेता ने कहा कि लगभग 20 घंटे इंतजार के बाद, जेएमएम के नवनिर्वाचित नेता चंपई सोरेन को राज्यपाल से मिलने का निमंत्रण मिला। हालांकि, समर्थन पत्र के बावजूद उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। खरगे ने कहा कि आज शुक्रवार को नए मुख्यमंत्री शपथ ले रहे हैं। जदयू प्रमुख नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद बिहार में जो कुछ भी हुआ उसका उल्लेख करते हुए कांग्रेस नेता ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार में जो कुछ हुआ, वह झारखंड में क्यों नहीं?

इसलिए विपक्षी सांसदों ने किया वॉकआउट

मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि अगर बिहार में इस्तीफा, समर्थन पत्र स्वीकार और शपथ ग्रहण 12 घंटे में हो सकता है तो झारखंड में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है। सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि झारखंड में एक बड़ा भूमि घोटाला हुआ है जिसके कारण सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा। उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार साबित हुआ है। कैसे मुख्यमंत्री ने जमीन घोटाला किया। इसके बावजूद कांग्रेस उस मुख्यमंत्री का बचाव कर रही है। उस मुख्यमंत्री के आचरण पर कोई स्पष्टीकरण नहीं है। वह भ्रष्टाचार के बारे में बात ही नहीं कर रही है। इससे यह बात फिर से साबित होती है कि भ्रष्टाचार कांग्रेस के डीएनए में ही है। कांग्रेस भ्रष्टाचार स्वीकार करती है।

पीयूष गोयल ने पूरे मामले पर क्या कहा

पीयूष गोयल ने कहा कि राज्यपाल के आचरण पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती। राज्यपाल की कार्रवाई का बचाव करते हुए, उन्होंने कहा कि गवर्नर को सरकार बनाने के लिए किसी को भी बुलाने से पहले खुद संतुष्ट होना होता है तभी वह अगला कदम उठाते हैं। हालांकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर जोर दिया कि राज्य ‘नेतृत्वविहीन’ क्यों हो गया। नयी सरकार बनने तक हेमंत सोरेन को पद पर बने रहने या किसी और को कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाने के लिए नहीं कहा गया और कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई। इसके बाद वे सदन से बहिर्गमन कर गए।

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