HRA क्लेम के मामले में IT विभाग ने टैक्सपेयर्स को दी बड़ी राहत, आप भी जान लें जरूर
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाउस रेंट अलाउंस (HRA) क्लेम के मामले में हाल में टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी थी। एचआरए सैलरी का एक हिस्सा होता है.
जो एम्प्लॉयर अपने कर्मचारियों को घर का किराया चुकाने में मदद करने के लिए देता है। यह अलाउंस टैक्सेबल होता है, लेकिन कुछ शर्तों के तहत कर्मचारी इस पर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। लेकिन कई लोग इसका दुरुपयोग करते हैं।
किराये के मकान पर न रहने के बावजूद वे HRA क्लेम करने के लिए फर्जी प्रूफ देते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल में एचआरए का गलत दावा करने के लिए पैन के फर्जी इस्तेमाल से जुड़ा खेल पकड़ा था।
इसके बाद कई लोगों को नोटिस सर्व किए गए थे। हालांकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टेक्सेस (CBDT) ने साफ किया है कि HRA क्लेम से संबंधित मामलों की जांच के लिए उसका स्पेशल ड्राइव का कोई इरादा नहीं है।
लेकिन जानकारों का कहना है कि एचआरए क्लेम के लिए फर्जी प्रूफ देने से बचना चाहिए। देर-सबेर वे विभाग की नजरों में आ सकते हैं। अमूमन सैलरीड लोग एचआरए के लिए टैक्स डिडक्शन का दावा करते समय तीन गलतियां करते हैं।
पहली गलती यह है कि वे खासकर परिजनों, रिश्तेदारों या दोस्तों को रेंट देते समय रेंट एग्रीमेंट नहीं बनाते हैं। अगर इस मामले की जांच होती है और रेंट एग्रीमेंट नहीं पाया जाता है तो आपका एचआरए डिडक्शन खत्म हो सकता है।
दूसरी गलती यह है कि सैलरीड लोग मकान मालिक के बैंक अकाउंट में रेंट का भुगतान नहीं करते हैं। वे इसे कैश में पेमेंट करने का दावा करते हैं। उन्हें कैश के बजाय मकान मालिक के बैंक अकाउंट में रेंट का भुगतान करना चाहिए।
तीसरी गलती यह है कि वे एचआरए क्लेम करने के लिए केवल रेंट रिसीट पर ही निर्भर रहते हैं। एम्प्लॉयर के लिए तो यह ठीक है लेकिन टैक्स ऑफिसर इसके लिए और सबूत मांगते हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स-
एक्सपर्ट कहते हैं कि ज्यादातर वित्तीय लेनदेन पैन से जुड़ गए हैं। ऑटोमेटेड प्रोसेस की नई तकनीक और डेटा एनालिटिक्स के साथ टैक्स अधिकारियों के लिए फर्जी क्लेम को ट्रैक करना बहुत मुश्किल नहीं है। इससे न केवल बाद में टैक्स भुगतान, बल्कि जुर्माने और मुकदमेबाजी का भी सामना करना पड़ सकता है।
जहां किराये का भुगतान माता-पिता को किया जाता है। वहां लेनदेन की वास्तविकता को दिखाने के लिए किराये का पेमेंट चेक या इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर के जरिये किया जाना चाहिए। अपने रिटर्न में पैरेंट्स को भी रेंटल इनकम की जानकारी देनी चाहिए।