जंग और व्यापार एक साथ करना असंभव…चीन के मसले पर जयशंकर की दो टूक
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार चीन को लेकर बड़ा बयान दिया है. नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि सीमा पर गतिरोध के बीच चीन को अन्य संबंधों के सामान्य रूप से आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कूटनीति जारी रहती है और कभी-कभी कठिन परिस्थितियों का समाधान जल्दबाजी में नहीं आता है. विदेश मंत्री ‘भू-राजनीति में भारत का उदय’ विषय अपने वक्तव्य के बाद दर्शकों के सवाल पर यह जवाब दिया. विदेश मंत्री ने साफ कहा कि एक ही साथ लड़ाई और व्यापार आप नहीं करना चाहते हैं. यह असंभव है.
उन्होंने कहा कि भारत एवं चीन के बीच सीमाओं पर आपसी सहमति अभी तक नहीं बनी है. दोनों पक्षों ने यह निर्णय लिया कि वे सैनिकों को इकट्ठा नहीं करेंगे. दोनों देश अपनी गतिविधियों के बारे में एक दूसरे को सूचित रखेंगे, लेकिन पड़ोसी देश ने 2020 में इस समझौते का उल्लंघन किया है.
जयशंकर ने साल 2020 में हुए गलवान घटना का उल्लेखन करते हुए कहा कि वह बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर ले आया. इससे गलवान की घटना घटी थी. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह असंभव है. एक ही समय में लड़ना और व्यापार आप नहीं करना चाहते हैं. इस बीच, कूटनीति चल रही है और कभी-कभी कठिन परिस्थितियों का समाधान जल्दबाजी में नहीं आता है.”
मालदीप के लोगों का भारत के प्रति सम्मान
मालदीव के साथ हालिया मतभेद (प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बाद उस देश के कुछ अधिकारियों की आपत्तिजनक टिप्पणियों के बाद) पर पूछे जाने पर, जयशंकर ने कहा कि कभी-कभी चीजें सही रास्ते पर नहीं चलती हैं और इसे वापस वहां लाने के लिए लोगों को समझाना पड़ता है.
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र 1950 और 1960 के दशक में प्रासंगिक हुआ करता था और पांच राष्ट्र इसमें शामिल थे. सुरक्षा परिषद आपस में व्यापक अंतर के कारण अन्य देशों पर हावी रहती थी. उन्होंने यह पूछे जाने पर कि संयुक्त राष्ट्र अधिकांश युद्धों को रोकने में सक्षम नहीं है. उसके जवाब में ये बातें कहीं.
भारत सुरक्षा परिषद का बने स्थायी सदस्य
जयशंकर ने कहा कि पिछले 30-40 वर्षों में जो हुआ है, उसका मतलब है कि अब ऐसा नहीं है. संयुक्त राष्ट्र की सीमाएं अब दिखाई दे रही हैं और कई लोग मानते हैं कि भारत, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक, को स्थायी सदस्य के रूप में सुरक्षा परिषद में शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि भारत की अध्यक्षता में पिछले साल आयोजित जी20 बैठकों के बाद किसी को भी एकजुट परिणाम की उम्मीद नहीं थी लेकिन “हम कामयाब रहे.”
जयशंकर ने कहा कि किसी को विदेश जाने वाले लोगों को नकारात्मक दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, क्योंकि यह गर्व की बात है कि विमानन, शिपिंग, आतिथ्य आदि क्षेत्रों में भारतीय रोजगार लेने को तैयार हैं. उन्होंने दावा किया, ”क्योंकि वे जहां भी काम करते हैं, वह हमारे लिए प्लस पॉइंट है.”