ITR: टैक्सपेयर्स के ऊपर है IT विभाग की सख्त नजर, इन लोगों पर होगी कारवाई
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख में अब लगभग एक हफ्ते का समय रह गया है।
इसलिए टैक्सपेयर्स किसी भी तरह के जुर्माने से बचने के लिए आखिरी तारीख तक हर हाल में ITR फाइल कर दें। इस बीच अभी तक कई लोग ITR फाइल कर चुके हैं,
जिनमें से कुछ ने अपनी रिटर्न में कटौती के लिए झूठे दावे किए हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक कई सैलरी पर काम करने वाले टैक्सपेयर्स ITR जमा करने के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच के दायरे में हैं।
इन्हें कुछ एक्सपर्ट्स ने टैक्स कटौती और रिफंड की राशि बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया है। इनमें करीबी रिश्तेदारों से फर्जी किराया रसीदें, होम लोन के लिए अतिरिक्त दावे, फर्जी दान और टैक्स चोरी जैसे कई अनैतिक तरीके शामिल हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, पहले टैक्स अथॉरिटीज से बचना आसान था, लेकिन अब कई लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उनके रिटर्न को रेवेन्यू डिपार्टमेंट की तरफ से इस्तेमाल किए जाने वाले सॉफ्टवेयर द्वारा मंजूरी दी जाती है। जो किसी भी संदेह की स्थिति में अटक सकती है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भेजे नोटिस
टैक्स अथॉरिटीज ने इन टैक्सपेयर्स को नोटिस भेजकर टैक्स छूट का दावा करने के लिए प्रूफ के तौर पर डाक्यूमेंट्स उपलब्ध कराने को कहा है। ये नोटिस सैलरी पर काम करने वाले व्यक्तियों को इन धाराओं के तहत दिए गए हैं –
धारा 10 (13A) के तहत मकान किराया भत्ते (House rent allowance) के तहत छूट
आधिकारिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए एक सहायक को काम पर रखने के लिए धारा 10 (14) के तहत भत्ता (Allowance)
होम लोन पर चुकाए गए ब्याज के लिए आईटी अधिनियम की धारा 24 (b) के तहत कटौती
इस दौरान 50 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले सैलरीड एम्प्लाइज (Salaried Employees) के लिए एक दशक के भीतर रीअसेसमेंट किया जा सकता है। वहीं, 50 लाख रुपये से कम आय वाले व्यक्तियों के लिए रीअसेसमेंट आठ साल तक किया जा सकता है।
साथ ही, डिजिटल रिकॉर्ड से आयकर विभाग को राजनीतिक दलों या धर्मार्थ ट्रस्टों की तरफ से अपने रिटर्न में बताए गए डेटा का व्यक्तियों द्वारा बताए गए दान विवरण के साथ मिलान करने में मदद मिलती है।
सोर्स पर आईटी डिपार्टमेंट की पैनी नजर
टैक्स और रेग्युलेटरी कंसल्टेंसी फर्म असिरे कंसल्टिंग के मैनेजिंग पार्टनर राहुल गर्ग ने फाइनेंशियल डेली को बताया कि टैक्स अधिकारी दावों की प्रामाणिकता की जांच करने के लिए आईटीआर डेटा के साथ-साथ फाइलर्स से वेरिफिकेशन सहित बाहरी सोर्सेज के जरिए इकट्ठा की गई जानकारी के आधार पर व्यक्तियों की प्रोफाइलिंग कर रहे हैं।
डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स से आईटीआर तैयार करने और फाइल करने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकील या इनकम टैक्स प्रोफेशनल्स के नाम, पते और कांटेक्ट नंबर का खुलासा करने के लिए भी कहा है।
डेली ने एक सीए फर्म के पार्टनर सिद्धार्थ बनवत के हवाले से कहा कि टैक्स चोरी का पता लगाने के लिए सही दिशा में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है।
छोटे टैक्स दायरे में कई व्यक्ति सोचते हैं कि छोटे मूल्य के मामलों को कौन देखेगा? इसलिए वे सही भुगतान किए बिना ही कटौती का दावा कर देते हैं।