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अभी तक नहीं मिला ITR रिफंड, हो सकती है ये बड़ी वजह?

 कई टैक्सपेयर्स (Taxpayers) इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने के बाद मिलने वाले रिफंड (Refund) की राशि से वेकेशन की प्लानिंग से लेकर निवेश तक की योजना बनाते हैं.

लेकिन कई बार कुछ वजहों से उन्हें रिफंड नहीं मिल पाता है. ITR रिफंड नहीं मिलने के कई कारण हो सकते हैं. वित्तीय वर्ष 2022-23 में भी कई टैक्सपेयर्स को आईटीआर दाखिल करने के बावजूद रिफंड नहीं मिला होगा.

इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. सबसे पहले टैक्स रिफंड तुरंत न मिलने का एक सामान्य कारण आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म में गलत या अधूरी जानकारी है.

बैंकिंग डिटेल्स, आवासीय पता या ईमेल आईडी में कोई भी गड़बड़ी आपके टैक्स रिफंड में देरी का कारण बन सकती है. इसलिए, अपना आईटीआर दाखिल करते समय प्रदान की गई जानकारी की सटीकता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है.

रिटर्न के वेरिफिकेशन में चूक

बिजनेस टुडे से बातचीत में डेलॉइट इंडिया की पार्टनर आरती रावते ने कहा कि आईटीआर प्रोसेसिंग में देरी का कारण टैक्सपेयर्स द्वारा दिया गया गलत बैंड डिटेल्स हो सकता है.

इसके अलावा कई बार टैक्सपेयर्स अनजाने में पोर्टल पर अपलोड किए गए रिटर्न को वेरिफाई करने में चूक जाते हैं. इसलिए जो रिटर्न मान्य नहीं होते उन्हें रिफंड के लिए प्रोसेस नहीं किया जाता. इसलिए टैक्सपेयर्स को दोबारा इसे चेक करना चाहिए.

अतिरिक्त डॉक्यूमेंट्स की जरूरत

उन्होंने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि टैक्स अधिकारी को रिटर्न में टैक्सपेयर्स के क्लेम के सपोर्ट के लिए कुछ अतिरिक्त दस्तावेज की जरूरत हो.

ऐसे मामलों में टैक्स अधिकारी नोटिस भेजकर टैक्सपेयर्स से डॉक्यूमेंट्स को उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध करेगा. एक बार डॉक्यूमेंट्स अधिकारी द्वारा वेरिफाई हो जाएंगे फिर रिफंड को प्रोसस कर दिया जाएगा.

120 दिनों का मिलता है समय

टैक्स रिफंड में देरी का एक अन्य प्रमुख कारण ITR को वेरिफाई नहीं करना हो सकता है. इनकम टैक्स विभाग के अनुसार, टैक्सपेयर्स को पेपरवर्क के बाद इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड (EVC) या आधार-आधारित वन-टाइम पासवर्ड (OTP) का इस्तेमाल करके रिटर्न को वेरिफाई करना होगा.

ITR दाखिल करने के 120 दिनों के भीतर इसे वेरिफाई नहीं किया जाता है, तो अमान्य माना जाता है. इस वजह से टैक्स रिफंड जारी होने से रोका जा सकता है.

कम हुआ रिफंड जारी करने का समय

डीवीएस एडवाइजर्स के संस्थापक और सीईओ दिवाकर विजयसारथी कहते हैं, ‘पिछले कुछ वर्षों में रिफंड प्रोसेसिंग में लगने वाला समय कम हो गया है.

नए उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 22-23 के दौरान इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के 60 दिनों के भीतर जारी किए गए हैं. शेष मामलों में, तथ्यों के आधार पर समय-सीमा अलग-अलग हो सकती है.

हालांकि, विजयसारथी का कहना है कि टैक्सपेयर्स को ये जानना जरूरी है कि रिटर्न दाखिल करना तभी पूरा होता है जब वेरिफिकेशन का प्रोसेस पूरा हो जाता है. इसके बाद ही रिफंड प्रोसस किया जाता है.

अन्य मामलों में रिटर्न और फॉर्म 26एएस में दावा किए गए टीडीएस क्रेडिट के बीच अंतर, एआईएस और रिटर्न के बीच डेटा में अंतर आदि जैसे कारणों के चलते भी रिफंड प्रोसस में देरी हो सकती है.

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