J-K Assembly Election: उमर को हराने वाले राशिद को अंतरिम जमानत, महबूबा-अब्दुल्ला को इतना डर क्यों लग रहा?
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के बीच अवामी इतिहाद पार्टी (AIP) के इंजीनियर राशिद जेल से बाहर आएंगे. दिल्ली की अदालत ने उन्हें 22 दिन की अंतरिम जमानत दी है. उन्हें 3 अक्टूबर को जेल में सरेंडर करना होगा. इंजीनियर राशिद जेल में रहते हुए लोकसभा चुनाव लड़े थे. उन्होंने बारामूला से नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला को शिकस्त दी. जम्मू कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों पर तीन चरण में मतदान होगा. 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी. 8 अक्टूबर को नतीजे घोषित होंगे.
इंजीनियर राशिद अगस्त 2019 से ही जेल में बंद हैं. टेटर फंडिंर मामले में NIA ने उन्हें गिरफ्तार किया था. इंजीनियर दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. इंजीनियर की जमानत को उनकी पार्टी AIP उत्तर कश्मीर के लोगों की जीत बता रही है.
क्यों डरे हुए हैं उमर-महबूबा?
राशिद की जमानत से AIP को कितना फायदा होगा, ये तो चुनाव के बाद ही मालूम पड़ेगा. लेकिन इतना तो साफ है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी में बेचैनी बढ़ गई है. दोनों पार्टियों के प्रमुख नेताओं के बयान से तो यही नजर आ रहा है. एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने दावा किया कि जमानत एक राजनीतिक पैंतरेबाजी है. उद्देश्य लोगों की सेवा करने के बजाय आगामी विधानसभा चुनावों में लाभ हासिल करना है.
उमर अब्दुल्ला आगे कहते हैं कि उन्हें बारामूला के लोगों के लिए खेद है, क्योंकि भविष्य में उन्हें संभवतः राजनीतिक प्रतिनिधित्व के बिना छोड़ दिया जाएगा. राशिद को दी गई जमानत का उद्देश्य बीजेपी के लिए वोट हासिल करना है. उधर, पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती इंजीनियर राशिद की पार्टी को बीजेपी का प्रॉक्सी बता रही हैं.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि एक तरफ जेल में बंद किसी गरीब व्यक्ति के माता पिता को उससे मिलने की इजाजत नहीं, लेकिन दूसरी तरफ कुछ लोग जेल से चुनाव लड़ रहे हैं, पार्टियां बना रहे हैं. इससे आपको जेल के अंदर से चुनाव लड़ने वाले शख्स के बारे में पता चलता है कि वह किसकी तरफ से हैं.
इंजीनियर राशिद के साथ था सिम्पैथी फैक्टर!
इंजीनियर राशिद वो नेता हैं जो तिहाड़ जेल में रहते हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज किए. उन्होंने बारामूला में उमर अब्दुल्ला को शिकस्त दी. इस हार के बाद उमर को राशिद की ताकत का अंदाजा हो गया. चुनाव के दौरान प्रचार का मोर्चा इंजीनियर राशिद के बेटे ने संभाला था. उन्होंने रोड शो किया था, जिसमें अच्छी खासी भीड़ जुट थी. लोगों की भीड़ वोट में तब्दील हुई और राशिद को जीत मिली. जानकार बताते हैं कि इंजीनियर राशिद के सिम्पैथी फैक्टर था. लोगों की भावनाएं उनके साथ जुड़ी हुई थी, यही वजह थी कि उन्होंने उमर अब्दुल्ला जैसे दिग्गज को हराया.
इंजीनियर राशिद की पार्टी कश्मीर घाटी की 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ये वो क्षेत्र है जहां से पीडीपी और एनसी को सबसे ज्यादा सीटें आने की उम्मीदें हैं, लेकिन AIP के आने से उन्हें वोट बंटने का डर सता रहा है. राशिद की पार्टी को फोकस युवाओं पर है. उसने अपने घोषणापत्र में छात्रों को फ्री लैपटॉप देने का वादा किया है. इसके अलावा राजनीतिक कैदियों की रिहाई का भी वादा किया है.
राशिद की पार्टी की स्थापना 2014 में हुई थी. लंगेट विधानसभा में वो लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुकी है. पार्टी को उम्मीद है कि लोकसभा चुनाव में मिली गति को वह विधानसभा चुनाव में भी बरकरार रखेगी. राशिद की उम्मीदवारी ने पार्टी के ‘जेल का बदला वोट’ अभियान के तहत युवाओं को बड़े पैमाने पर एकजुट करने में सक्षम बनाया.
एआईपी को अब घाटी में एक राजनीतिक ताकत के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए लोकसभा में अपने प्रदर्शन का लाभ उठाने की उम्मीद है. एआईपी ने अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करते हुए कहा था कि उसे घाटी की 47 सीटों में से 20 सीटें जीतने का भरोसा है.