Japan: ‘अगर सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश को UN से बाहर रखा गया तो…’, निक्केई फोरम में बोले जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की जब स्थापना हुई थी, तब करीब 50 सदस्य देश थे। जबकि आज 200 सदस्य देश हैं। इसलिए अधिकतर इस बात को समझते हैं कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की बहुत आवश्यकता है।

भारतीय विदेश मंत्री जापान दौरे पर हैं। एस जयशंकर शुक्रवार को निक्केई फोरम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अगर दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश और कुछ बड़े संसाधन मुहैया कराने वालों को संयुक्त राष्ट्र से बाहर रखा जाता है तो यह सयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए अच्छा नहीं होगा।

भारत-जापान विशेष रणनीतिक साझेदारी पर जयशंकर ने कहा कि परिषद में भारत और जापान को वैसा ही स्थान देने की जरूरत है, जिसके वे हकदार हैं। उन्होंने कहा, ‘अगर दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश और कुछ बड़े संसाधन मुहैया कराने वालों को संयुक्त राष्ट्र से बाहर रखा जाता है तो यह संगठन के लिए अच्छा नहीं होगा। इसलिए हम चाहते हैं कि इसका जल्दी अहसास हो।’

संयुक्त राष्ट्र में बदलाव की जरूरत

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर छह से आठ मार्च तक जापान दौरे पर हैं। वह अपने जापानी समकक्ष योको कामिकावा के साथ 16वीं भारत-जापान विदेश मंत्री रणनीतिक वार्ता के लिए यहां पहुंचे हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र की जब स्थापना हुई थी, तब करीब 50 सदस्य देश थे। जबकि आज 200 सदस्य देश हैं। इसलिए अधिकतर इस बात को समझते हैं कि संयुक्त राष्ट्र में सुधार की बहुत आवश्यकता है।

चार गुना सदस्य बढ़े

उन्होंने कहा, ‘अगर किसी संगठन में चार गुना सदस्य बढ़ जाते हैं तो उस संगठन का नेतृत्व और निर्णय लेने की क्षमता समान नहीं रह सकती है।’ उन्होंने आगे कहा कि आज दुनियाभर में कई जरूरी मुद्दे हैं, लेकिन इनमें संयुक्त राष्ट्र वह भूमिका नहीं निभा रहा है जो इसे निभानी चाहिए।

पहले भी हो चुका है बदलाव

जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद में पहले भी बदलाव हुए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहले कभी बदलाव नहीं हुए। यहां बदलाव हो चुका है। सुरक्षा परिषद का एक बार विस्तार किया गया ताकि अधिक से अधिक अस्थायी सदस्यों को लाया जा सके। उन्होंने आगे कहा, ‘हम जानते हैं कि बदलाव आएगा। हम जानते हैं कि सुरक्षा परिषद में बदलाव होगा। असली मुद्दा यह है कि यह कब आता है, इसमें कितना समय लगेगा और यह किस रूप में होगा।’

विदेश मंत्री ने कहा कि अगर आप देखें कि यह क्या रूप लेगा तो भी इसके कुछ हिस्से काफी स्पष्ट हैं। यहां कोई एक भी अफ्रीकी सदस्य नहीं है। एक भी लैटिन अमेरिकी सदस्य नहीं है। अफ्रीका के पास 50 से अधिक देशों का एक महाद्वीप है, लेकिन कोई भी सदस्य नहीं है।

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