झारखंड : नहीं रहे राष्ट्रीय स्तर के फुटबाॅल खिलाड़ी राजकिशोर बास्की
दुमका सदर प्रखंड के कुरूमपहाड़ी गांव के रहनेवाले और 1986-90 के बीच कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करनेवाले फुटबाॅलर राजकिशोर बास्की नहीं रहे. वे 55 साल के थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. मंगलवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली. राजकिशोर ने भागलपुर विश्वविद्यालय के फुटबाॅल टीम की कप्तानी की थी और उनके नेतृत्व में इस विश्वविद्यालय ने इस्ट जोन चैम्पियनशिप को बाराबाती स्टेडियम कटक में जीता था. मोइनुल हक ट्राॅफी में भी उन्होंने 15 बार दुमका जिला का प्रतिनिधित्व किया था. वे सेंट्रल हाफ से खेलते थे और अपनी स्फूर्ति से टीम को जीताने में अहम भूमिका निभाते रहते थे. वे रेफरी एसोसियेशन के भी सदस्य रहे और आजीवन खेल से जुड़े रहे. 01 जनवरी 1968 को जन्में राजकिशोर की पढ़ाई संत जोसेफ हाइस्कूल गुहियाजोरी से हुई थी. उन्होंने 1984 में वहां से मैट्रिक पास किया था.
15 बार खेल चुके थे मोइनुल हक ट्राॅफी
1988-89 में जब रवि मेहता ट्राफी में भारतीय टीम के चर्चित गोलकीपर पीटर थंगराज पहुंचे, तो उन्होंने राजकिशोर का खेल देखकर खूब सराहा था और उन्होंने खुद भी उन्हें कई बड़ी टीमों से खेलने की पेशकश की थी. कई बार नौकरी के अवसर उन्हें प्राप्त हुए, पर खेल व खिलाड़ियों से लगाव की वजह से उन्होंने कभी फुटबाॅल मैदान नहीं छोड़ा. वे अपने पीछे परिवार में पत्नी, दो बेटा व दो बेटी छोड़ गये हैं. उनके निधन की खबर सुनकर पूर्वमंत्री डॉ लोइस मरांडी, पूर्व फुटबाॅलर ब्रेंटियस किस्कू, जीवन हेंब्रम, बीबी गुहा, योगेश चंद्र मुर्मू, दिनेश मुर्मू, महेंद्र टुडू, महेंद्र हांसदा, रेमंड हेंब्रम, रमेश टुडू, शिवधन हेंब्रम, मोतीलाल बेसरा, संत जोसेफ स्कूल बक्सीबांध के प्राचार्य फादर आलुसियस मुर्मू, फादर बनार्ड मुर्मू आदि ने गहरा शोक व्यक्त किया है. उनके अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में फुटबाॅल प्रेमी, उनके फैन व सगे-संबंधी पहुंचे थे. उनके असामयिक निधन से दुमका के खेल जगत में शोक व्याप्त है.