Jigra Review : जिगरा की ‘बच्चन’ हैं आलिया भट्ट, कैसी है उनकी नई फिल्म?
आलिया भट्ट की जिगरा थिएटर में रिलीज हो चुकी है. वैसे तो आलिया भट्ट ने मसाला बॉलीवुड फिल्म से अपना डेब्यू किया था. लेकिन बतौर प्रोड्यूसर वो अच्छा कंटेंट प्रोड्यूस करने की कोशिश कर रही हैं. आलिया की फिल्म जिगरा का इतना बज नहीं था. लेकिन उनकी डार्लिंग्स देखने के बाद एक विश्वास था कि ये फिल्म निराश नहीं करेगी और मेरा अंदाजा सही निकला. आलिया भट्ट की जिगरा एक अच्छी फिल्म है. अपने भाई को छुड़ाने के लिए पूरी दुनिया से लड़ जाने वाली इस बहन की कहानी बोर नहीं करती. ‘जिगरा’ एक दिलचस्प इमोशनल एक्शन थ्रिलर है, जो आखिर तक आपको इंगेज रखेगी.
कहानी
सत्या (आलिया भट्ट) बचपन से ही अपने भाई का ख्याल रखती आई है. उसने बचपन में अपने पापा को सुसाइड करते हुए देखा था. लेकिन अपने भाई अंकुर (वेदांग रैना) को उसने कभी भी अपने माता-पिता की कमी महसूस होने नहीं दी. भाई-बहन की इस छोटी सी दुनिया को किसी की नजर लग जाती है और दोनों एक दूसरे से अलग हो जाते हैं. एक पराए मुल्क में अंकुर ड्रग्स के झूठे इल्जाम में फंस जाता है और उसे सीधे मौत की सजा सुनाई जाती है. अब बचपन में अपने भाई को शरारती बच्चों से बचाने वाली सत्या क्या अपने भाई को जेल से छुड़ा पाएगी? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर आलिया भट्ट और वेदांग रैना की जिगरा देखनी होगी.
कैसी है ये फिल्म?
इस फिल्म में एक डायलॉग है, जब भाटिया (मनोज पाहवा) सत्या से कहते हैं कि बच्चन नहीं बनना है बचकर निकलना है और सत्या जवाब देती है, नहीं अब तो बच्चन ही बनना है. आलिया भट्ट जिगरा की अमिताभ बच्चन हैं. जिगरा में इमोशंस है, एक्शन है, ड्रामा के साथ एक हल्का सा ह्यूमर भी है और आप फिल्म देखते हुए इसके हर एक इमोशन को महसूस करते हो. फिल्म देखने से पहले मुझे लगता था कि ये ओटीटी पर देखने वाली फिल्म होगी लेकिन ये एक पैसा वसूल फिल्म है. फिल्म की कहानी, निर्देशन, एक्टर्स की एक्टिंग और बैकग्राउंड म्यूजिक सब कुछ कमाल का है. लेकिन ये कहानी सच्चाई से काफी दूर है. अपनों के लिए कुछ करने का जुनून तो कइयों में होगा, पर इस तरह का जेल ब्रेक असल जिंदगी में मुमकिन नहीं है. तो लॉजिक ढूंढने की कोशिश करने की जगह कहानी एन्जॉय करनी है, तो थिएटर में जाकर ‘जिगरा’ जरूर देख सकते हैं.
राइटिंग और निर्देशन
मैंने वासन बाला की ‘सिनेमा मरते दम तक’ देखी थी. ये एक डॉक्यूमेंट्री रियलिटी सीरीज थी, जो सिंगल स्क्रीन थिएटर में रिलीज होने वाली बी और सी ग्रेड फिल्मों के बारे में थी. जिस तरह से इस तरह की फिल्मों में काम करने वाले कलाकारों की गरिमा का सम्मान करते हुए वासन ने इस सीरीज का निर्देशन किया था वो वाकई बहुत अच्छा था. उन्होंने कुछ फिल्मों का निर्देशन भी किया है, लेकिन ‘सिनेमा मरते दम तक’ से उन्होंने साबित कर दिया कि वो कुछ भी कर सकते हैं. ‘जिगरा’ उनके करियर की अब तक की बेहतरीन फिल्म है.
‘जिगरा’ में भाई-बहन का रिश्ता बताते हुए कहीं पर भी ‘ओवर द टॉप’ डायलॉग का इस्तेमाल नहीं किया गया है. आलिया या वेदांग के लिए जो भी डायलॉग लिखे गए हैं वो रीयलिस्टिक हैं. यानी इस फिल्म में बहन बड़े-बड़े डायलॉग नहीं बोलती. वो नहीं कहती कि मैं अपने भाई के लिए अपनी जान दे दूंगी. वो सीधे पूछती है कि क्या अगर मैं अपनी नस काट लूं, तो इमरजेंसी के तौर पर जेल मैनेजमेंट मुझे अपने भाई से मिलने देगा. यानी इस डायलॉग के साथ राइटर ने बिना किसी मेलोड्रामा के ये दिखाया है कि ये बहन सच में अपने भाई के लिए कुछ भी कर सकती है और आलिया भट्ट ने भी अपनी एक्टिंग से हमें इस बात का विश्वास दिलाया है कि सत्या (उनका किरदार) अनहोनी को होनी और होनी को अनहोनी में बदल सकती है.
एक्टिंग
एक्टिंग की बात करें तो आलिया भट्ट ने फिर एक बार साबित किया है कि वो हर किरदार बड़ी ही आसानी से निभा सकती हैं. अब मैंने तो उन्हें इस फिल्म की ‘अमिताभ बच्चन’ तक कह दिया और क्या बोलू? हमें पता है कि जो हमें दिख रहा है वो नामुमकिन है, लेकिन आलिया भट्ट हमें अपनी एक्टिंग से विश्वास दिलाती है कि नहीं ये मुमकिन है, ये हो सकता है. फिल्म देखते हुए हम भी सोचने लगते हैं कि ये साधारण सी दिखने वाली लड़की अगर ऐसा कुछ कर सकती है तो वो हम भी कर सकते हैं. ऑडियंस को ढाई घंटे के लिए ही सही, लेकिन ये विश्वास दिलाना कि वो भी कुछ भी कर सकते हैं, मेरे ख्याल से इसमें ही एक्टर की जीत है, वेदांग रैना भी अच्छे हैं. आलिया भट्ट और मनोज पाहवा जैसे एक्टर्स के सामने सिर्फ काम करना काफी नहीं है. वेदांग रैना ने उनके किरदार को पूरी तरह से न्याय दिया है.
विवेक गोम्बर फिल्म में नेगटिव किरदार में नजर आते हैं और उन्हें देखकर आपको उनसे नफरत हो जाएगी. ‘जिगरा’ की अच्छी कास्टिंग ने डायरेक्टर का काम आसान बना दिया है.
म्यूजिक
अमिताभ बच्चन के जन्मदिन पर ये फिल्म रिलीज होने जा रही है और फिल्म में भी अमिताभ बच्चन के गानों का अच्छा इस्तेमाल किया गया है. फिर वो जंजीर की ‘चप्पू छुरियां तेज करा लो’ गाना हो या फिर ‘यारी है ईमान मेरा’ हो. इसके अलावा फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक उसे और इंटरेस्टिंग बनाने में मदद करता है. उदाहरण के तौर पर बात की जाए तो अंकुर और उसके दोस्त जेल में कुछ प्लानिंग करते हैं और जब उनका फैसला हो जाता है तब एक डफ की आवाज सुनाई देती है (डफली से थोड़ा अलग इंस्ट्रूमेंट) ये आवाज अक्सर थिएटर में जब बड़ा ट्विस्ट आता है, या शॉकिंग एंडिंग पर कहानी खत्म हो जाती है तब सुनाई देती है. अचिंत ठक्कर के बैकग्राउंड म्यूजिक की वजह से फिल्म में हर सीन का इंपैक्ट बढ़ गया है.
देखें या नहीं
‘रॉकी और रानी’ वाली या फिर ‘सैटरडे-सैटरडे’ कहते हुए डांस करने वाली आलिया भट्ट देखने की उम्मीद से अगर आप ये फिल्म देखने जा रहे हो तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है. फैक्ट के हिसाब से कहानी में कई लूप होल्स हैं. एक सीन में आलिया भट्ट अपने भाई को ये कहती हुई नजर आती हैं कि तू जल्द ही बाहर निकलने वाला है. जिस देश का जेल मैनेजमेंट एक मक्खी भी अंदर घुसने नहीं देता, वो क्या कैदी और विजिटर के बीच होने वाली बातें मॉनीटर नहीं करेगा? अगर किसी देश से भागकर कोई गुनहगार बॉर्डर क्रॉस कर दूसरे देश में गलत तरीके से आ जाए तो क्या उसे आसानी से दूसरा देश एंट्री करने देगा? क्या उस देश से ये गेटक्रेशर आसानी से अपने घर जा पाएंगे? लॉजिक से सोचेंगे तो ऐसे कई सवाल आपके दिमाग में आएंगे और खासकर तब, जब आप मेरी तरह नेटफ्लिक्स की क्राइम डॉक्युमेंट्री देखते हों. लेकिन ये कमर्शियल फिल्म है, तो इसे आप लॉजिक के लिए नहीं एन्जॉय करने के लिए देखिए.
हाल ही में दिव्या खोसला और अनिल कपूर की फिल्म ‘सावी’ रिलीज हुई थी. अभिनय देव ने फिल्म का निर्देशन किया था. ये भी एक जेल ब्रेक ड्रामा था. एक्टिंग से लेकर डायरेक्शन के मामले में ‘जिगरा’, सावी से अच्छी है, लेकिन फैक्ट्स की बात करें, तो सावी ज्यादा सही लगती है.
मैंने थिएटर में लगभग 30 लोगों के साथ ये फिल्म ‘फर्स्ट डे फर्स्ट शो’ देखी. फिल्म के खत्म होने पर लोगों की तालियां सुनाई दीं. इन तालियों के दो कारण हो सकते हैं एक तो फिल्म की प्रोडक्शन टीम में उनका कोई अपना हो या फिर फिल्म सच में अच्छी लगी हो. अब इस फिल्म को देखकर आपको तालियां बजानी हैं या नहीं ये फैसला आपका होगा, लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि फिल्म अच्छी है और इसे थिएटर में जाकर जरूर देखा जा सकता है.
फिल्म : जिगरा
एक्टर्स : आलिया भट्ट, वेदांग रैना, मनोज पाहवा
डायरेक्टर : वासन बाला
रिलीज : थिएटर
रेटिंग : 3.5 स्टार