जियो की एंट्री के बाद त्राहिमाम! आधा दर्जन इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर बंद कर चुके हैं दुकान, इस बादशाहत का मतलब क्या?
टेलीकॉम सेक्टर में जियो की एंट्री 2016 में हुई थी। इसने पूरे टेलीकॉम सेक्टर की सूरत बदल दी। मुकेश अंबानी की ताकत लेकर उतरी जियो के सामने कई पुरानी कंपनियां फूस की तरह उड़ गईं। कंपनी की लॉन्चिंग से आधा दर्जन से ज्यादा इंटरनेट सर्विस प्रोइवाइडर अपनी दुकान बंद कर चुके हैं। इनमें वीडियोकॉन, एमटीएस, एयरसेल, टेलीनॉर, टाटा डोकोमो इत्यादि शामिल हैं। आज की तारीख में जियो सबसे बड़ी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है। इसका मार्केट शेयर आधे से ज्यादा है। यानी अपनी एंट्री से सिर्फ 8 साल में इसने सबसे बड़ा मार्केट शेयर हासिल कर लिया है। इस क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी कंपनी सुनील मित्तल की एयरटेल है। मार्केट शेयर के लिहाज से उसकी हिस्सेदारी करीब 28 फीसदी है। जियो और एयरटेल के मार्केट शेयर में अंतर यह बताने के लिए काफी है कि मुकेश अंबानी की कंपनी सेक्टर में किस तरह हावी है। जियो की इस बादशाहत का मतलब क्या है? इतने कम समय में जियो ने यह कैसे करके दिखाया है? आइए, यहां इसे समझने की कोशिश करते हैं।
बीते तीन दिनों से मुकेश के छोटे बेटे अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट के प्री-वेडिंग सेलिब्रेशन की चर्चा है। इस फंक्शन में देश-दुनिया की जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की। यह मुकेश अंबानी की बढ़ती ताकत को भी दिखाता है जो पेट्रोलियम क्षेत्र से निकलकर अब टेक्नोलॉजी और इनोवेशन जैसे क्षेत्रों तक पहुंच चुकी है। इसकी सबसे बड़ी मिसाल जियो है। जियो की एंट्री होते ही सेक्टर में त्राहिमाम होने लगा था। 2016 में इस कंपनी की लॉन्चिंग के बाद से आधा दर्जन से ज्यादा सर्विस प्रोवाइडर अपनी दुकानों पर ताला जड़ चुके हैं। इनमें एयरसेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस (अनिल अंबानी), टाटा टेलीसर्विसेज, डोकोमो, एमटीएस, वीडियोकॉन, यूनिनॉर शामिल हैं। देश में अभी करीब 86 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं। इसमें जियो का मार्केट शेयर 51.98 फीसदी है। 28.79 फीसदी मार्केट शेयर के साथ दूसरे नंबर पर एयरटेल है। वोडाफोन आइडिया तीसरे पायदान (14.5 फीसदी) पर है। बीएसएनएल, एससीटी और अन्य के पास बाकी की बाजार हिस्सेदारी है।
क्या इस बादशाहत का नुकसान भी हो सकता है?
जरूर। इस बादशाहत का नुकसान भी हो सकता है। प्रतिस्पर्धा उपभोक्ताओं को विकल्प देती है। इससे इनोवेशन को बढ़ावा मिलता है। कंपनियां प्रतिस्पर्धा के चलते नए-नए प्रोडक्ट इनोवेट करती हैं। किसी सेक्टर में कई कंपनियां होने से एकाधिकार नहीं बनता है। इससे मनमानी पर रोक लगती है। बादशाहत का नुकसान कस्टमर सर्विस में गिरावट के तौर पर सामने आ सकता है।