Kamla Harris: बाइडेन की हां, ओबामा की न… 28 दिन में कैसे खुद को साबित करेंगी कमला हैरिस?

अमेरिका की राजनीति में हलचल है. बाइडेन के राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी से पीछे हटने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि अब डेमोक्रेट का नेता कौन होगा. कमला हैरिस को अब तक उनकी जगह लेने के लिए सबसे बड़ा संभावित उम्मीदवार बताया जा रहा है. बाइडेन के साथ कई डेमोक्रेट नेताओं का उन्हें समर्थन है, लेकिन ओबामा की न ने काफी हद तक उनकी मुश्किल बढ़ा दी है.
कमला हैरिस ने बाइडेन के पीछे हटने के बाद चुनाव अभियान की कमान संभाल ली है, लेकिन उन्हें अभी खुद को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर साबित करना है. खास बात ये है कि उनके पास सिर्फ आज से 28 दिन यानी 19 अगस्त तक का वक्त है. दरअसल 19 अगस्त से डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन होना है. आधिकारिक तौर पर इसी कन्वेंशन में कमला हैरिस की उम्मीदवारी पर मुहर लगेगी. अगर वह खुद को साबित नहीं कर पाईं तो कन्वेंशन में 56 साल बाद राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए पार्टी नेताओं में चुनाव होगा.
कैसे चुना जाएगा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार?
अमेरिका में किसी भी पार्टी का राष्ट्रपति उम्मीदवार वो होता है, जिसे पार्टी के प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त होता है. यह प्रतिनिधि पार्टी की राज्य इकाईयों से चुने जाते हैं. बाइडेन के पास ज्यादातर प्रतिनिधियों का समर्थन था, इसीलिए पार्टी उन्हें हटाने की बजाय खुद हटने के लिए मजबूर कर रही थी. बाइडेन के बाद कमला हैरिस ने चुनाव की कमान तो संभाल ली है, लेकिन खुद को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर मजबूत साबित करने के लिए उन्हें प्रतिनिधियों का समर्थन जुटाना होगा. खास बात ये है कि उन्हें ये 19 अगस्त से पहले करना होगा. अगर वह ऐसा नहीं कर पाईं तो कन्वेंशन में वो होगा जो 56 साल पहले हुआ था. यानी उम्मीदवार चुनने के लिए पार्टी का आंतरिक चुनाव. इस चुनाव में कमला हैरिस को साथी नेताओं की ओर खुली चुनौती मिल सकती है, क्योंकि पार्टी चाहते हुए भी प्रतिनिधियों पर अपने मनपसंद उम्मीदवार को वोट देने के लिए दबाव नहीं बना सकती.
किसी को नहीं मिला बहुमत तो क्या होगा?
कमला हैरिस को प्रतिनिधि ही नहीं सुपर डेलीगेट्स और पार्टी के नेताओं का भी समर्थन हासिल करना होगा. ये तब जरूरी होगा जब कमला हैरिस की उम्मीदवारी को चुनौती दी जाए. चुनाव हो और उसमें किसी को बहुमत हासिल न हो. दरअसल डेमोक्रेट के तकरीबन 3900 प्रतिनिधि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनते हैं. जब किसी को बहुमत नहीं मिलता तो सुपरडेलीगेट्स, पार्टी के नेताओं को भी वोट देने का अधिकार मिल जाता है. इनकी संख्या तकरीबन 700 है.
क्या खुद को दोहराएगा 56 साल पुराना इतिहास?
1968 में डेमोक्रेट्स की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार लिंडन बी जॉनसन ने नाम वापस ले लिया था. इसके बाद पार्टी किसी एक नाम पर सहमत नहीं हो पाई थी. लिहाजा डेमोक्रेट्स ने कन्वेंशन में चुनाव के माध्यम से ही राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुना था. यदि कमला हैरिस के नाम पर सहमति नहीं बन पाती हैं तो कन्वेंशन में 56 साल पुराना इतिहास दोहराया जाएगा. कमला हैरिस को इस कन्वेंशन से पहले खुद को साबित करना होगा.
हैरिस के सामने ये दावेदार
बाइडेन के मुकाबले देखें तो कमला हैरिस की स्थिति टक्कर की है. वाशिंगटन पोस्ट के एक सर्वे में 44 प्रतिशत लोग पहले ही ये मान रहे थे कि हैरिस को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनना चाहिए. हालांकि जब अन्य दावेदारों के साथ इसकी तुलना होती है तो कमला हैरिस का समर्थन करने वाले महज 29 प्रतिशत ही रह जाते हैं. अन्य दावेदारों में हैरिस के बाद सबसे ज्यादा कैलिफोर्निया के गर्वनर गेविन न्यूसम को पसंद किया जा रहा है जिन्हें 7 प्रतिशत लोग राष्ट्रपति पद पर उम्मीदवार देखना चाहते हैं, जबकि मिशेल ओबामा को 4 प्रतिशत लोग समर्थन दे रहे हैं. परिवहन सचिव पीट बटिगिएग को भी 3 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल रहा है.
क्राउड फंड को पाना चुनौती से कम नहीं
बाइडेन के चुनाव अभियान के नाम पर कई मिलियन डॉलर क्राउंड फंड इकट्ठा हो चुका है. उनके पीछे हटने के बाद यह फंड पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को ही मिलेगा. वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव अभियान के लिए बने अकाउंट में कमला हैरिस के भी साइन हैं, इसलिए उन्हें इस खाते का नियंत्रण मिल सकता है, लेकिन विपक्षी पार्टी की ओर से इसे चुनौती भी दी जा सकती है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से दावा किया गया है कि बाइडेन के बाद इस फंड का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब डेमोक्रेट की ओर से कोई आधिकारिक उम्मीदवार चुन लिया जाए.

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