बुंदेलखंड के कारसेवकों को अयोध्या के मीरपुर गांव में मिली थी शरण

हमीरपुर,14 जनवरी (हि.स.)। अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के लिए 33 वर्ष पूर्व विहिप की योजना के आधार पर 20 अक्टूबर 1990 को ही पुलिस से बचते बचाते अयोध्या पहुंचे थे।

बुन्देलखण्ड के झांसी, उरई, महोबा, हमीरपुर चरखारी,कुरारा और सुमेरपुर के सैकड़ों कारसेवकों को अयोध्या के निकट सोहावल रेलवे स्टेशन से 20 किलोमीटर दूर स्थित गांव मीरपुर में रुकाया गया था।

कारसेवक और रिटायर्ड शिक्षक रामकृपाल प्रदीप ने बताया कि पुलिस के भय से हर घर में दो-दो कारसेवकों को रुकाया गया था। मीरपुर निवासी अर्जुन सिंह के मार्ग निर्देशन में कारसेवकों की मेहमानों की तरह आवभगत की जाती थी। पांच हजार की आबादी वाले मीरपुर गांव में कारसेवक ही नजर आते थे,जो दिन में खेतों में रहते थे और रात को घरों में सोते थे।

28 अक्टूबर की शाम को अयोध्या से बुलावा आने पर वहां के लोगों ने एकत्र होकर सभी कारसेवकों को तिलक लगाकर राम काम के लिए विदा किया था और वहां के लोगों ने एक-एक व्यक्ति अपने-अपने घर से भेजा था। यह कहकर कि जब इतनी दूर से लोग राम मन्दिर के लिए प्राणों की बाजी लगाकर यहां आ सकते हैं तो यहां से भी किसी न किसी को अयोध्या जाना चाहिए।

 

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