KK Pathak order: केके पाठक के सख्त आदेश को नालंदा DM ने दे दी चुनौती, जारी किया जिले के लिए छुट्टी का नया शेड्यूल
बिहार के सभी जिलों में शीतलहर और भीषण ठंड को लेकर स्कूल बंद हैं। इस बंद पर केके पाठक को आपत्ति है। उनकी ओर से पत्र भी जारी किया गया। केके पाठक ने इस बंदी पर सवाल खड़े करते हुए इस आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लेने की बात कही। ध्यान रहे कि शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों की टाइमिंग 9 से 5 बजे तक रखी गई है। बिहार में शीतलहर और ठंड का दौर जारी है। वातावरण में कनकनी है। मौसम विभाग के मुताबिक आगामी 24 जनवरी तक राहत मिलने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। कई जिले ठंड की चपेट में हैं। कोहरे की चादर सुबह से फिजां में लिपटी रहती है। ठंड की वजह से लोग घरों में दुबके रहते हैं। वैसे में बच्चों के स्कूल जाने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकुल असर पड़ने की संभावना ज्यादा होती है।
नालंदा डीएम का आदेश
उधर, केके पाठक का पत्र आने के बाद नालंदा जिले के डीएम शशांक शुभंकर ने अलग ही आदेश जारी कर दिया है। शशांक शुभंकर की ओर से केके पाठक के उस पत्र को जारी होने के बाद जिले में ठंड की स्थिति को देखते हुए एक अलग से पत्र जारी किया गया है। नालंदा डीएम की ओर से पूर्व में 20 जनवरी तक स्कूल को बंद करने का आदेश जारी किया गया था। अब ऐसा नहीं है। डीएम ने ठंड को देखते हुए आगामी 23 जनवरी तक वर्ग 8 तक की कक्षा को बंद करने का आदेश दे दिया है। डीएम ने कहा है कि इस आंगनबाड़ी केंद्र भी 23 जनवरी तक बंद रहेंगे। डीएम ने प्रमंडलीय आयुक्त को भेजे गए केके पाठक के पत्र को जरा भी तरजीह नहीं दी है। डीएम की ओर से अपने जिले में ठंड की स्थिति को देखते हुए फैसला लिया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि केके पाठक का ये आदेश पूरी तरह अमानवीय है। डीएम जिले का मालिक होता है। डीएम की ओर से परिस्थिति को देखते हुए पहले भी फैसले लिए जाते रहे हैं।
केके पाठक के पत्र का जवाब
वहीं केके पाठक की ओर से सभी प्रमंडलीय आयुक्त पत्र भेजकर बिना शिक्षा विभाग की अनुमति के आदेश निकालना गलत बताया गया था। स्कूलों को बंद करने के आदेश को वापस लेने को कहा गया था। लेकिन, नालंदा डीएम ने आदेश वापस लेने की बजाए स्कूलों में छुट्टी की अवधि बढ़ा दी है। जिसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। अवकाश पर चल रहे केके पाठक ने पदभार संभालने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र निकाला था, जिसमें कहा था कि स्कूलों की बंदी के अलावा अन्य संस्थान की भी बंदी होनी चाहिए। उन्होंने धारा 144 के मायने भी समझाए थे। उसके बाद ऊहापोह की स्थिति बन गई थी कि स्कूलों में छुट्टी होगी, या फिर उसे रद्द कर दिया जाएगा। हालांकि, नालंदा सहित पटना जिलाधिकारी ने आदेश जारी कर स्कूलों को आगामी 23 जनवरी तक बंद रखने का आदेश जारी कर दिया है। कहा जा रहा है कि अब बिहार में पावर की लड़ाई शुरू हो गई है। सभी आईएएस अपने-अपने पावर दिखा रहे हैं।
शिक्षकों को राहत नहीं
उधर, शीतलहर और ठंड में बच्चों को छुट्टी दे दी गई है और शिक्षकों को कहा गया है कि वे 5 बजे तक स्कूल में मौजूद रहेंगे। वैसे शिक्षक जो ठंड से परेशान होकर स्कूल बंद कर दे रहे हैं, उन पर बेवजह कार्रवाई भी की जा रही है। इसे लेकर शिक्षकों में काफी आक्रोश है। शिक्षकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जब स्कूल में बच्चे रहेंगे नहीं, तब वे लोग क्या करेंगे। सवाल ये भी है कि जब बच्चों को ठंड लगती है, तो शिक्षकों को भी ठंड लगती है। शिक्षकों ने कहा कि ये आदेश पूरी तरह गलत है। पूर्व में ऐसा नहीं होता था। शिक्षक ठंड के दौरान स्कूल नहीं जाते थे। अभी स्कूल जाने को बाध्य किया जा रहा है। शिक्षकों को परेशान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा जा रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। केके पाठक छुट्टी से लौटे हैं। ये ठीक बात है। उन्हें ये समझना चाहिए कि शिक्षक भी हाड़-मांस के बने इंसान हैं। इस शीतलहर में उनका 5 बजे तक स्कूल में रहना कहां तक जायज है। शिक्षकों ने कहा है कि कई शिक्षकों पर कार्रवाई की बात सामने आ रही है। ये बिल्कुल भी उचित नहीं है।