JN.1 वैरिएंट कितना है खतरनाक? जानें क्या बोले AIMS के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया
SARS-COV2 के JN.1 वैरिएंट के बढ़ते संक्रमण ने देश में चिंता पैदा कर दी है. केंद्र सरकार ने राज्यों को सतर्कता बढ़ाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही वायरस के जीनोम अनुक्रमण के लिए सभी कोविड-19 परीक्षण स्वैब के नमूने भेजने का निर्देश दिया है. भारत में जिन प्रभावित राज्यों में मामलों में मामूली वृद्धि देखी गई है, उनमें केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गोवा, पुडुचेरी, गुजरात, तेलंगाना, पंजाब और दिल्ली शामिल हैं. नए वैरिएंट के बढ़ते मामलों के साथ ही राज्यों ने अपनी तैयारियां बढ़ा दी हैं और एहतियात के तौर पर निगरानी के दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
इस बीच, कोविड-19 के नए वैरिएंट JN.1 पर, एम्स के पूर्व निदेशक और वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा, ” इसमें संक्रमित करने की ज्यादा क्षमता है. यह अधिक तेजी से फैल रहा है. यह धीरे-धीरे एक प्रमुख वैरिएंट बनता जा रहा है…यह और अधिक संक्रमण पैदा कर रहा है.”
उन्होंने कहा कि लेकिन डेटा यह भी बताता है कि यह गंभीर संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने का कारण नहीं बन रहा है. अधिकांश लक्षण मुख्य रूप से बुखार, खांसी, सर्दी, गले में खराश, नाक बहना और शरीर में दर्द जैसे ऊपरी वायुमार्ग में हो रहे हैं. जो प्रायः ही मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण इस समय होता है और इस मौसम में यह प्रायः ही देखा जाता है.
93 फीसदी लोगों में हल्के लक्षण
रिपोर्ट के अनुसार संक्रमित लोगों में से लगभग 93% में हल्के लक्षण हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश भर के विभिन्न अस्पतालों में जिन लोगों का इलाज चल रहा है, उनमें से केवल 0.1% वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं, 1.2% गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती हैं और 0.6% ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं.
हालांकि इसे वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि जेएन.1 वर्तमान में अन्य वेरिएंट की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बढ़ा रहा है. संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य निकाय ने यह भी कहा कि उपलब्ध साक्ष्य से पता चलता है कि मौजूदा वैक्सीन गंभीर बीमारी और मृत्यु को रोकने में सक्षम हैं.
नए वैरिएंट से घबराने की जरूरत नहीं, रहें सतर्क
देश के कई राज्यों में लोग इस नए सब-वेरिएंट से संक्रमित होकर बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन मरीजों के लक्षण हल्के हैं. एम्स दिल्ली में मेडिसिन विभाग में अतिरिक्त प्रोफेसर डॉक्टर नीरज निश्चल ने कहा कि इस नए वैरिएंट से घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है.
डॉक्टर निश्चल ने कहा, “हम कहते रहे हैं कि इस प्रकार की लहरें होती रहेंगी. यहां तक कि पहली और दूसरी लहर के दौरान भी, हमने भविष्यवाणी की थी कि यह वायरस और अधिक उत्परिवर्तित होगा और ऐसा चरण आएगा, जहां यह अधिक संक्रामक हो जाएगा लेकिन साथ ही मृत्यु दर या प्रभाव कम हो जाएगा.” उन्होंने कहा कि लोग संक्रमित हो रहे हैं लेकिन साथ ही, यह उस समस्या का कारण नहीं बन रहा है, जो इसके पूर्ववर्तियों, जैसे कि डेल्टा संस्करण ने पैदा की थी.