सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने पर ही मिलेगी जमानत.विधि आयोग का केंद्र को प्रस्ताव
सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना अब आसान नहीं होगा. ऐसा करने के लिए दस बार सोचना पड़ेगा. विधि आयोग का कहना है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों से नुकसान के बराबर धनराशि जमा कराई जाए, उसके बाद ही उन्हें जमानत दी जाए
विधि आयोग ने शुक्रवार 2 फरवरी को केंद्र सरकार को ये सुझाव दिया है.
विधि आयोग ने सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम में संशोधन के तहत केंद्र सरकार को ये सुझाव दिया दिया है. आयोग का कहना है कि इससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने से बचाया जा सकेगा. विधि आयोग का कहना है कि जितना नुकसान उपद्रवियों ने किया है, उतनी की रकम उनसे वसूली जाए, उसके बाद ही उन्हें जमानत दी जाए.
सार्वजनिक स्थानों पर रुकावट पैदा करने के खिलाफ बने कानून
सरकार ने अगर आयोग की इस सिफारिश को स्वीकार किया तो सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से पहले उपद्रवी और हुड़दंगी दस बार सोचेंगे. जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले आयोग ने सरकार को ये भी सुझाव दिया कि विरोध प्रदर्शनों करने के दौरान जानबूझकर सार्वजनिक स्थानों और सड़कों को लंबे समय अवरुद्ध करने, बाधित करने के मुद्दे से निपटने के लिए एक कानून बनाया जाए. आयोग ने सिफारिश की है कि सार्वजनिक स्थानों पर रुकावट पैदा करने के खिलाफ या तो कानून बनाया जाए या फिर इससे निपटने के लिए संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता (IPC) या नए कानून भारतीय न्याय संहिता में इससे संबंधित एक विशेष प्रावधान लाया जाए.
जमानत की शर्त को सख्त बनाने का प्रस्ताव
विधि आयोग का कहना है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से रोकने के लिए अधिनियम के तहत सजा का डर सक्षम नहीं है, इससे सार्वजनिक संपत्ति से तोड़फोड़ से नहीं रोका जा रहा है. ये सक्षम नहीं साबित हो रहा है. आयोग जमानत की शर्त को सख्त बनाने का भी प्रस्ताव रखा है. जिसके तहत किसी भी संगठन द्वारा किए गए प्रदर्शन. हड़ताल या बंद के दौरान अगर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो ऐसे संगठन के अधिकारियों को अपराध के लिए उकसाने का दोषी माना जाए और अधिनियम के तहत सजा दी जाए.