पारंपरिक खेती छोड़कर ली मधुमक्खी पालन की ट्रेनिंग, अब कमा रहा लाखों रुपये

कोटा जिले के 10वीं पास एक किसान ने पारंपरिक खेती छोड़कर मधुमक्खी पालन कर अपनी तकदीर बदल ली है, वह अब 25 लाख रुपए सालाना कमा रहे हैं. स्वास्थ्य के लिए अमृत कहे जाने वाले शहद के लिए मधुमक्खी पालन कर इस किसान ने अपने और पूरे परिवार के जीवन में मिठास घोल दी है.

कोटा जिले के रहने वाले किसान नरेंद्र मालव ने मधुमक्खी पालन में महारत हासिल कर रखी है. कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेने के बाद मधुमक्खी पालन के साथ-साथ मधुमक्खी बेचते भी हैं और कई तरह के शहद अलग-अलग फ्लेवर में सीजन के हिसाब से बनाते हैं.

नरेंद्र मालव ने बताया कि खेत में मधुमक्खी के बॉक्स लगाकर उनकी कॉलोनी बनाई जाती है. मधुमक्खियों से सरसों का शहद, धनिए का शहद, जंगली जड़ी बूटियां का शहद, सौंफ का शहद प्राप्त करते हैं और अच्छा मुनाफा कमाते हैं.

नरेंद्र मालव ने शुरुआत 25 से 50 बॉक्स लगाकर की थी. 10 लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है. किसान नरेंद्र मालव ने बताया कि 2004 में उन्होंने मधुमक्खी पालन शुरू किया.

शहद से ज्यादा कमाई मधुमक्खियां बेचने में होती है. मधुमक्खी पालन की शुरुआत में मालव ने दस हजार रुपए की पूंजी लगाई. आज नरेंद्र मालव और उनके भाई महेंद्र मालव दोनों ही मधुमक्खी पालन करते हैं.

कोटा में धनिया व सरसों की फसल होने की वजह से 8 महीने मधुमक्खी पालन का सीजन होता है. मधुमक्खी पालन क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए मालव कई बार जिला स्तर व राज्य स्तर पर सम्मानित भी हो चुके हैं.

सालाना 25 लाख की होती है कमाई

किसान नरेंद्र ने बताया कि वह अब मधुमक्खी पालन से सालाना 25 लाख रुपए तक कमा लेते हैं. इसके अलावा उन्होंने आठ से 10 लोगों को रोजगार भी दे रखा है. मालव ने बताया कि वह खेत में मधुमक्खी के बॉक्स लगाकर उनकी कॉलोनी बना देते हैं.

मालव के पास अभी मधुमक्खी की 1000 कॉलोनी हैं. एक कॉलोनी में 25 से 30 किलो शहद निकलता है और यह साल भर में 7 से 8 बार शहद निकाल लेते हैं. नरेंद्र मालव कई तरह के शहद तैयार करते हैं, जिनमें सरसों का शहद, धनिया का शहद, जंगली जड़ी बूटी शहद और सौंफ का शहद शामिल है.

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