LIC के पास है पाकिस्तान की इकोनॉमी से दोगुना पैसा, 50 लाख करोड़ के पार पहुंची वैल्यू
भारत में पाकिस्तान की चर्चा किसी ना किसी बहाने होती रहती है. लोकसभा चुनाव में एक दौर ऐसा भी देखने को मिला जब देश के कई बड़े नेताओं ने पाकिस्तान तक का नाम लिया. खैर वो बात अलहदा है. आज जो हम चर्चा करने जा रहे हैं कि वो ये है कि पाकिस्तान की इकोनॉमी की हैसियत इतनी भी नहीं कि वो भारत की किसी सरकारी कंपनी से मुकाबला कर सके.
जी हां, ये कोई मजाक की बात नहीं है. भारत की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के पास पाकिस्तान की जीडीपी के मुकाबले दोगुना पैसा है. जहां एक ओर पाकिस्तान की जीडीपी 338 बिलियन डॉलर के आसपास है. वहीं एलआईसी का असेट अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम 600 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है. अब आप खुद ही समझ जाइए कि पाकिस्तान की हालत कितनी खराब है.
पाकिस्तान से दोगुना है एलआईसी का एयूएम
भारतीय शेयरों में तेज उछाल के बाद, देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी का एयूएम अब 50 लाख करोड़ रुपए को पार कर पड़ोसी देश पाकिस्तान की जीडीपी से लगभग दोगुना हो गया है. फ्रेश आंकड़ों के अनुसार मार्च के अंत तक एलआईसी का एयूएम सालाना आधार पर 16.48 फीसदी बढ़कर 51,21,887 करोड़ रुपए (616 बिलियन डॉलर) हो गया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष मार्च के अंत में यह 43,97,205 करोड़ रुपए था. दूसरी ओर, आईएमएफ के अनुसार, पाकिस्तान की जीडीपी केवल 338.24 बिलियन डॉलर है. इसका मतलब है कि देश की दिग्गज इंश्योरेंस कंपनी के पास जो असेट्स हैं वो पाकिस्तान की कुल जीडीपी के मुकाबले करीब—करीब दोगुना है.
3 देशों की ज्वाइंट जीडीपी से बड़ी है एलआईसी
खास बात तो ये है कि एलआईसी का एयूएम देश के तीन पड़ोसी देशों की कुल जीडीपी से भी बड़ा है. आंकड़ों पर बात करें तो पाकिस्तान की कुल जीडीपी 338.24 बिलियन डॉलर है. वहीं श्रीलंका की जीडीपी 74.85 बिलियन डॉलर है. नेपाल की जीडीपी तो और भी कम है और उसका साइज 44.18 बिलियन डॉलर है.
अगर तीनों को जोड़ भी दिया जाए तो सिर्फ 457.27 बिलियन डॉलर बन रहा है. जबकि एलआईसी का एयूएम 616 बिलियन डॉलर है. इसका मतलब है कि एलआईसी जितने असेट्स को मैनेज कर रहा है, उतनी इकोनॉमी तो इन तीनों की देशों की भी नहीं है. कुछ महीने पहले एलआईसी की ग्रोथ और फंड के साइज को देखकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में काफी प्रशंसा की थी.
लगातार कमजोर होता पाकिस्तान
जहां भारत दुनियाभर की ग्लोबल क्राइसिस के बावजूद एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरता हुआ दिखाई दे रहा है. वहीं दूसरी ओर कर्ज में डूबा पाकिस्तान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है और पिछले महीने सॉवरेन डेट डिफॉल्ट से बाल-बाल बचा है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की क्षमता के बारे में गंभीर चिंता जाहिर की है. साथ ही कहा है कि राजनीतिक अनिश्चितता और उभरते सामाजिक तनाव देश की इकोनॉमिक स्टेबलाइजेशन पॉलिसीज को कमजोर कर सकते हैं.
आईएमएफ के अनुसार, पाकिस्तान को अगले पांच वर्षों में 123 बिलियन डॉलर की जरुरत है. देश को वित्तीय वर्ष 2024-25 में 21 बिलियन डॉलर, 2025-26 में 23 बिलियन डॉलर, 2026-27 में 22 बिलियन डॉलर, 2027-28 में 29 बिलियन डॉलर और और 2028-29 में 28 बिलियन डॉलर की जरुरत है.
LIC की बढ़ रही ताकत
वित्त वर्ष 2024 में, एलआईसी को 40,676 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है. वहीं कुल प्रीमियम से कमाई 4,75,070 करोड़ रुपए देखने को मिली है. वित्तीय वर्ष के दौरान, इसने भाग लेने वाले पॉलिसीधारकों को 52,955.87 करोड़ रुपए का बोनस बांटा गया था. लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी बिजनेस में लगभग 59 फीसदी की बाजार हिस्सेदारी के साथ, एलआईसी देश की सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है.
खास बात तो ये है कि शेयर बाजार में एलआईसी का मार्केट कैप 6.46 लाख करोड़ रुपए है और देश की 7वीं सबसे बड़ी और देश की सबसे बड़ी सरकारी कंपनी बनी हुई है. बीते 6 महीने में कंपनी के शेयर में 52 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. भारत के राष्ट्रपति के माध्यम से, भारत सरकार की एलआईसी में 96.5 फीसदी हिस्सेदारी है.
स्टॉक पर ओएफएस ओवरहैंग को हटाते हुए, मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एलआईसी के लिए मई 2027 तक 10 फीसदी पब्लिक शेयर होल्डिंग और 2032 तक 25 फीसदी पब्लिक होल्डिंग हासिल करने की डेडलाइन बढ़ा दी है.
एलआईसी के शेयरों की स्थिति
शेयर बाजार में गिरावट के साथ बुधवार को देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिल रही है. आंकड़ों के अनुसार बीएसई पर कंपनी के शेयर में 1.29 फीसदी की गिरावट देखी जा रही है और कंपनी का शेयर 1008.25 रुपए पर कारोबार कर रहा है. वैसे कारोबारी सत्र के दौरान एलआईसी का शेयर 1005 रुपए के लोअर लेवल पर भी पहुंचा. मौजूदा समय में कंपनी का मार्केट कैप 6,37,717.89 करोड़ रुपए देखने को मिल रहा है.