Loan EMI : इतनी इनकम पर खरीदने जा रहें है घर और कार तो पहले जान लें ये 3 बातें, वरना कभी नहीं उतार पाएंगे कर्ज
आज के दौर में अधिकतर नौकरी-पेशा लोगों की जिंदगी किस्तों पर कटती है. घर की ईएमआई, कार की ईएमआई और अब तो लोग मोबाइल भी EMI पर ले रहे हैं.
खासकर मध्यवर्गीय परिवारों में तेजी से बदलाव आया है. लोग चादर से ज्यादा पांव पसार रहे हैं, और फिर किस्त की चारदीवारी में कैद होकर रह जाते हैं.
उनके पास बचत के नाम पर कुछ नहीं होता है. आपने कभी सोचा है, ऐसा क्यों होता है? इसका एक ही कारण है, कमाई और खर्च के बीच तालमेल नहीं।
अगर आप सोच रहे हैं कि इस महंगाई में क्या खाएं और क्या बचाएं? तो जान लें कि महंगाई अभी है और आगे भी रहेगी. लेकिन अगर अभी आप बचत नहीं कर पा रहे हैं तो क्या गारंटी है कि आगे सेविंग कर लेंगे. दरअसल, जैसे-जैसे लोगों की सैलरी बढ़ती है.
वैसे-वैसे जिम्मेदारियां और खर्चें भी बढ़ते रहते हैं. ऐसे में जो सैलरी है, उसी में से आप बचा सकते हैं. इसके लिए कोई रॉकेट साइंस नहीं है. केवल आमदनी और खर्च के बीच तालमेल बिठाकर आप सभी वित्तीय लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे आप अपने वेतन को अलग-अलग भागों में बांटकर बेहतर फ्यूचर प्लानिंग कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर अगर आपकी सैलरी 1 लाख रुपये महीने है तो कैसे इस फॉर्मूले से आप खर्चों का बंटवारा करें।
सबसे पहले ये जरूरी खर्चे…
सबसे पहले अपनी सैलरी (Salary) का आधा हिस्सा यानी 50 फीसदी हिस्सा जरूरी कामों पर खर्च करें. इसमें खाना, रहना और शिक्षा. यहां रहने का मतलब है अगर आप किराये पर रहते हैं तो फिर हर महीने का किराया, बच्चों की पढ़ाई का खर्चा.
इसके लिए आपको सबसे पहले महीनेभर के खर्च की लिस्ट बनानी होगी. जितनी आमदनी है, उसका आधा हिस्सा इन चीजों के लिए निर्धारित कर दें, या सैलरी मिलते ही दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर (Transfer) कर दें. ये सभी काम 50 हजार रुपये में निपटाने की कोशिश करें.
अगर आप इसे भी अलग-अलग करके देखना चाहते हैं तो 50 फीसदी में से 10 फीसदी हिस्सा शिक्षा, 5 फीसदी लाइफस्टाइल और 5 मेडिकल खर्चों के लिए निर्धारित करें. इसी पैसे में से आप बाहर घूमना, मूवी देखना, बाहर खाना, गैजेट्स, कपड़े, इलाज के खर्चें निकालें.
होम और कार लोन के लिए ये फॉर्मूला
उसके बाद 30 फीसदी हिस्सा होम लोन (Home Loan) और कार लोन (Car Loan) के निर्धारित कर सकते हैं. यानी 1 लाख सैलरी वालों के लिए 20% हिस्सा ही होम लोन के लिए होना चाहिए. अगर आप कार लेने की सोच रहे हैं.
तो उसकी किस्त आपकी सैलरी का 10 फीसदी हिस्सा होना चाहिए, यानी 10000 रुपये से अधिक न हो. अगर किसी का कार लेने का प्लान नहीं है तो फिर अधिकतम कमाई का 30 फीसदी हिस्सा होम लोन के लिए निर्धारित कर सकते हैं.
आखिरी में बचत जरूरी है…
बाकी बचा 20% फीसदी हिस्सा को जरूर सेविंग करें. यानी एक लाख सैलरी वालों को कम से कम से 20 हजार रुपये हर महीने बचाना चाहिए और उसे सही जगह पर लगाएं. इसके लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में हर महीने SIP और बॉन्ड (Bond) में लगा सकते हैं.
आमदनी बढ़ने के साथ ही निवेश को भी बढ़ाते रहें. जब आप इस बचत को सही से निवेश करेंगे, तो साल-दर-साल वो बढ़ता जाएगा, क्योंकि म्यूचुअल फंड में चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है, जो फ्यूचर में एक बड़ा फंड बन जाएगा.
रिटायरमेंट फंड के लिए सोचना नहीं पड़ेगा
लगातार 10 साल तक इस फॉर्मूले के तहत बचत करने के बाद फिर कभी आपको पैसों की कमी नहीं होगी. इसके अलावा अगर आप 20 साल तक इसी तरह 20 फीसदी राशि सेविंग करते रहे तो रिटायरमेंट फंड (Retirement Fund) के लिए भी सोचना नहीं पड़ेगा. 60 की उम्र होते ही इतनी बड़ी राशि आपके पास होगी, जिसकी कल्पना आज आप नहीं कर सकते.
फिजूलखर्ची पर लगाम…
अगर शुरुआत में 20 फीसदी राशि बचाने में दिक्कत हो रही है, तो एक लिस्ट बनाएं क्या चीजें आपकी जरूरी है और क्या फिजूलखर्ची है. फिजूलखर्ची पर तुरंत लगाम लगाएं.
खासकर महंगे कपड़े खरीदने से बचें. साथ ही क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का धड़ल्ले इस्तेमाल करना बंद कर दें. इसके अलावा ऐसी चीजें खरीदने से बचें, जो आपकी जरूरत की नहीं है.
इस चार्ट से समझते हैं गणित-
आमदनी यानी सैलरी का आधा हिस्सा (यानी 50%)- खाना, रहना, शिक्षा और मेडिकल.
Monthly House Expenses- 30%
Education- 10%
Lifestyle- 5%
Medical- 5%
Home loan- 20%
Car Loan-10%
Saving- 20%
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Total- 100%
हर किसी के लिए इमरजेंसी फंड जरूरी
इसके अलावा हर किसी के लिए इमरजेंसी फंड रखना जरूरी है. अगर एक लाख रुपये महीने आमदनी है तो कम से कम तीन महीने की सैलरी के बराबर यानी 3 लाख रुपये इमरजेंसी फंड होना चाहिए. शुरुआती महीनों में सबसे पहले इमरजेंसी फंड को जमा करें और बेहद जरूरी होने पर ही इसे खर्च करें.