Loksabha Election Result 2024: UP के नतीजों ने चौंकाया, जानें किस पार्टी को कितनी सीटों पर मिली जीत

लोकसभा चुनाव-2024 में उत्तर प्रदेश के नतीजे चौंकाने वाले हैं. एक ओर बीजेपी मिशन 80 के साथ यूपी में उतरी थी तो वहीं इंडिया गठबंधन ने उसके इस प्लान को फेल करने के लिए पूरा दम लगा दिया था. वो इसमें कामयाब भी रहा. अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी ने तमाम एग्जिट पोल के अनुमानों को गलत साबित करते हुए देश के सबसे बड़े राज्य में इंडिया गठबंधन को मजबूत कर दिया.
यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. यहां पर सपा ने सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की. सपा ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं, कांग्रेस के खाते में 6 सीटें आईं. बीजेपी ने 33 सीटों पर दर्ज की. उसकी सहयोगी आरएलडी को 2 सीटों पर जीत मिली. 1 सीट पर Aazad Samaj Party (Kanshi Ram) और 1 पर Apna Dal (Soneylal) को जीत मिली.
सपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
सपा की स्थापना के बाद लोकसभा चुनावों में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. 2019 में बसपा से गठबंधन के बावजूद वो सिर्फ पांच सीटें जीती थी. सपा ने इस बार अकेले (यादव) परिवार में ही पांच सीटें हासिल कर ली हैं. वर्ष 2019 में अकेले 62 सीट पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी इस बार यूपी में 33 सीटों पर ही सिमट गई.
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यह पहला आम चुनाव था. अखिलेश के नेतृत्व में पार्टी ने साल 2004 से भी बेहतर प्रदर्शन किया है. 2004 के चुनाव में सपा ने 36 सीट जीती थीं. प्रचार के दौरान मोदी अक्सर अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो लड़कों की जोड़ी बताकर तंज कसते थे. ऐसा लगता है कि अखिलेश के पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले ने पार्टी के लिए काम किया.
सपा का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़े अखिलेश ने अपनी पत्नी डिंपल यादव और तीन चचेरे भाइयों के लिए समर्थन जुटाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली. चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश ने बीजेपी को अपने विमर्श को बदलने के लिए मजबूर किया और कुछ हद तक उसे बैकफुट पर भी धकेल दिया. उन्होंने सत्तारूढ़ दल के भाई-भतीजावाद के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि जिनका कोई परिवार नहीं है, उन्हें दूसरों को दोष देने का कोई अधिकार नहीं है.
सपा के प्रदर्शन से संकेत मिलता है कि राज्य की मुस्लिम आबादी का भी उसे मजबूत समर्थन मिला है, जो कुल आबादी में एक बड़ा हिस्सा है.चुनाव नतीजे दर्शाते हैं कि अपने पूर्व सहयोगी बहुजन समाज पार्टी से अलग होने से सपा को कोई नुकसान नहीं हुआ.

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