इस घाट पर आखिरी बार पहुंचे थे प्रभु श्री राम, गुप्तार घाट की ये है धार्मिक मान्यता
अयोध्या नगरी में प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर बनकर तैयार है। जिसका उद्घाटन 22 जनवरी को होगा। इस मंदिर के अलावा अयोध्या के कोने-कोने में मंदिर और घाट हैं। जहां प्रभु श्रीराम ने मनुष्य रूप में अपनी लीलाएं दिखाई थीं। अयोध्या के पूरे 51 घाटों में कुछ घाट का विशेष महत्व है। जिनमे से एक है गुप्तार घाट। गुप्तार घाट को गुप्त हरि घाट के नाम से भी जानते हैं। तो चलिए जानें आखिर इस घाट की क्या है पौराणिक मान्यता।
सरयू नदी के तट पर बना है गुप्तार घाट
अयोध्या में पूरे 51 घाट हैं। जिनमे से एक घाट गुप्तार घाट भी है। जो कि सरयू नदी के किनारे पर बना हुआ है।
गुप्तार घाट की पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता और अयोध्या के मंदिर के पुजारियों के अनुसार गुप्तार घाट ही वो घाट है जहां पर पहुंचकर प्रभु श्री राम ने जल समाधि ली थी। कई वर्षों तक अयोध्या पर राज्य करने के बाद प्रभु श्री राम ने इस घाट पर समाधि ली थी। अपने शरीर को इस घाट के जल में गुप्त कर लेने की वजह से ही इसे गुप्तार घाट के नाम से जानते हैं। गुप्तार घाट की महिमा का वर्णन स्कंध पुराण में मिलता है। जिसमे इसका नाम गौ प्रतारण दिया गया है।
पूरी होती है मनोकामना
सरयू नदी के इस घाट पर श्रद्धालु स्नान करने आते हैं। साथ ही मन्नत भी मांगते हैं। मान्यता है कि इस घाट के दर्शन करने और स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और मनोकामना की पूर्ति होती है।
अयोध्या में कहा है गुप्तार घाट
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि से करीब 11 किलोमीटर दूर गुप्तार घाट है। वहीं हनुमान गढ़ी से इसकी दूरी 9 किलोमीटर है। इस घाट से कुछ ही दूरी पर नरसिंह मंदिर, चक्र हरि विष्णु मंदिर है। जिनमे से चक्र हरि विष्णु मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर भगवान श्री राम के चरणों के निशान भी हैं।