Madhubala Birth Anniversary: एक केस ने मधुबाला की ज़िंदगी तबाह कर दी, पिक्चर भी गई और दिलीप कुमार भी

मधुबाला की ज़िंदगी ट्रैजिडीज से भरी रही, और दिलीप कुमार को ट्रैजिडी किंग कहा जाता है. कमाल ये है कि दोनों की प्रेम कहानी का अंत भी ट्रैजिक ही रहा. आपको इस प्रेम कहानी से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हैं, जिसने दिलीप कुमार और मधुबाला को एक-दूसरे से हमेशा के लिए दूर कर दिया.

शम्मी कपूर ने अपनी किताब में लिखा है कि दिलीप कुमार मधुबाला को इतना पसंद करते थे कि पूना से मुंबई सिर्फ उनके लिए अप-डाउन किया करते थे. सोचिए कैसा प्रेम रहा होगा! कहते हैं 1951 में आई ‘तराना’ से दिलीप कुमार और मधुबाला की प्रेम कहानी शुरू हुई. उस वक़्त मधुबाला 17-18 साल की रही होंगी. कुछ सालों तक ये प्रेम प्रसंग बिना हिचकोले खाए चलता रहा. प्रेम को शादी में बदलने की नौबत आ गई. 1956 में एक फिल्म आई ढाका की मलमल. इसी की शूटिंग पर दिलीप कुमार अपनी प्रेमिका मधुबाला से बोले:

घर पर क़ाज़ी इंतज़ार कर रहे हैं. चलो शादी कर लेते हैं. अगर आज आप न मानीं तो मैं कभी लौटकर वापस न आऊंगा.

मधुबाला हां कर नहीं सकती थीं. पिता की परमीशन चाहिए थी. अव्वल तो ये उनके पिता ही उनका काम-काज देखते थे. इसलिए उनकी नज़रों से कुछ बचा पाना मधुबाला के लिए अशक्य था. पिता को दिलीप कुमार और मधुबाला का रिश्ता पसंद नहीं था. इसलिए ढाका की मलम’ के वक़्त दोनों का प्रेम संबंध लगभग टूट ही गया. बाकी कसर दिलीप कुमार की पिक्चर ‘नया दौर’ ने पूरी कर दी.

 

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