Magh Mela 2024: कब से शुरू हो रहा माघ मेला? जानें- गंगा स्नान की तिथियां और दान का महत्व
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हर साल माघ मेले का आयोजन किया जाता है. इस साल भी इसकी शुरुआत जल्द होने वाली है. प्रयागराज के इस माघ मेले में स्नान करने के लिए देश विदेश से लोग आते हैं. ऐसी मान्यता है कि प्रयागराज के संगम तट पर स्नान करने से लोगों के सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को कष्टों राहत मिलती है. प्रयागराज का त्रिवेणी संगम देश विदेश में विख्यात है. जिस लोग स्नान करते हैं और अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं.
पद्म पुराण के मुताबिक, जो त्रिवेणी संगम पर स्नान करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रयागराज में गंगा, यमुना, और सरस्वती तीनों नदियों का संगम है. इस संगम स्थल को त्रिवेणी कहा जाता है. यह स्थान बहुत ही पवित्र माना जाता है. आम दिनों में भी लोग यहां पर स्नान करना शुभ मानते हैं. हालांकि माघ मेले के दौरान संगम तट पर स्नान करना और भी शुभ हो जाता है. इस दौरान भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है. यहा कई साधु, संत, कल्पवास कर धार्मिक कार्य करते हैं. कल्पवास से साधक को मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करने की शक्ति प्राप्त होती हैं.
इस साल 2024 में माघ मेले की शुरुआत 15 जनवरी से हो रही है. हिंदू धर्म में माघ मेला अपने आप में एक खास विशेष महत्व रखता है. हर साल मकर संक्रांति के साथ इस मेले का आरंभ हो जाता है, जो महाशिवरात्रि के दिन स्नान-दान करने के साथ समाप्त होता है. इस पूरे एक महीने के दौरान सभी लोग त्रिवेणी संगम पर स्नान करते हैं.
माघ मेले की महत्वपूर्ण तिथियां
माघ मेला 2024 में स्नान की तिथियां माघ मेला में पहला स्नान- मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024 दूसरा स्नान – 25 जनवरी 2024 को पौष पूर्णिमा, कल्पवास का आरंभ माघ मेले का तीसरा स्नान-9 फरवरी 2024 को मौनी अमावस्या पर चौथा स्नान- बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 पांचवा स्नान- माघ पूर्णिमा 24 फरवरी 2024 आखिरी स्नान – 8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि
दान का महत्व
मकर संक्रान्ति के मौके पर संगम में स्नान और दान का विशेष महत्व भी है. माघ मेले के दौरान दान का भी अपना खास महत्व हैं. ऐसी मान्यता है कि माघ महीने में जो भी जरूरतमंद लोगों को दान करता हैं. उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है और वह पुण्य का भी भागीदार बनता है. इसके अलावा लोगों के घर में हमेशा सुख-समद्धि बनी रहती है.
माघ मेला का महत्व
ऐसी मान्यता है कि माघ मेला हर साल तब शुरू होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. ऐसे में साधु-संतों के साथ सभी आमजन त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं. इस मेले में कुल छह शाही स्नान होते हैं, जो मकर संक्रांति से शुरू होकर महाशिवरात्रि तक होते हैं. तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के बालकांड में माघ मेले के प्राचीन होने के प्रमाण मिलते हैं. जिससे लोग पूरे विधि-विधान से निभाते हैं. इसके अलावा माघ मेले में बड़ी संख्या में साधु संत भी आते हैं और कड़ाके की ठंड के बाद भी एक माह तक संगम की रेती पर कठिन तप और साधना करते नजर आते हैं.